समदा झील की पैमाइश के बाद किसानों को मिली राहत
कोला गांव में समदाझील की कोर्ट के आदेश पर पैमाइश से किसानों को राहत मिली है। झील के पूर्वी बांध के निर्माण में किसानों की जमीन पर कब्जा हुआ था। उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद, राजस्व विभाग ने...
सोहावल संवाददाता। तहसील क्षेत्र अन्तर्गत कोला गांव में स्थित करीब साढ़े छ: सौ बीघे जमीन में फैली समदाझील की कोर्ट के आदेश पर पैमाइश से किसानों को बड़ी राहत मिली है। झील की पैमाइश के बाद अपनी जमीन को मुक्त होता देख किसान खुशहाल दिख रहे हैं। समदा झील को लेकर मोइया कपूरपुर गांव के आधा दर्जन किसानों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। किसानों का आरोप था कि समदा झील के पूर्वी बांध निर्माण में कुछ अंश किसानों की जमीन कब्जे में आ गई है। किसानों के आरोप और शिकायत को लेकर करीब एक साल तक झील की कई बार पैमाईश हुई। बावजूद राजस्व विभाग द्वारा दी गई रिपोर्ट के बाद भी प्राधिकरण ने किसानों की जमीन नहीं छोड़ा और न मुआवजा दिया। जिसके बाद न्यायालय ने प्राधिकरण को नोटिस थमाया और बीते 17 सितंबर तक का अल्टीमेटम प्राधिकरण को दिया था। बुधवार को प्राधिकरण के उच्च स्तरीय अभियंताओं की मौजूदगी में तहसील के लेखपाल और राजस्व निरीक्षक की टीम ने मौके पर पहुंचकर पैमाईश कर झंडी लगवा दिया।
इस बार भी पैमाइश में पूर्वी गेट के पास बने बांध का करीब एक तिहाई हिस्सा किसानों की भूमि में निकला तो राजस्व कर्मियो ने झंडी लगा दी। इसके बाद किसानों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। मौके से प्राधिकरण ने अपने कब्जे की भूमि खाली करने की बात कही। इस पर किसानों ने विरोध जताया और कहा कि पहले क्षतिपूर्ति दी जाए तब बांध गिराने देंगे। इस दौरान एक्सईएन आलोक कुमार, एई गिरीश त्रिपाठी, जेई अयोध्या प्रसाद राजस्व विभाग के बलदेव तिवारी, चंद्रभान सिंह मौजूद रहे।
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