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कभी लहुरी काशी कहलाता था अमेठी, जानिए क्या है इतिहास

आजादी से पहले देशभर में अमेठी की पहचान लहुरी काशी के रूप में थी। अमेठी को यह पहचान राज परिवार ने दिलाई थी

Gyan Prakash हिन्दुस्तान, अमेठी। चिंतामणि मिश्राWed, 23 Oct 2024 11:53 AM
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यूं तो अमेठी जिले का गठन हुए महज 14 वर्ष हुए हैं लेकिन जिला बनने से पूर्व भी अमेठी की अपनी एक अलग पहचान थी। आजादी से पहले देशभर में अमेठी की पहचान लहुरी काशी के रूप में थी। लहुरी काशी यानी काशी का छोटा रूप।

अमेठी को यह पहचान दिलाने का सबसे बड़ा श्रेय अमेठी के वर्तमान राजा डॉ. संजय सिंह के पिता राजा रणंजय सिंह को जाता है। रणंजय सिंह उर्फ ददन साहब ने अपने जीवन को धर्म प्रचार, समाज सुधार, शिक्षा प्रसार के लिए समर्पित कर दिया। सन 1916 में राजा रणंजय सिंह के बड़े भाई राजकुमार रणवीर सिंह ने मार्च 17 वर्ष की अवस्था में रणवीर पाठशाला की स्थापना की। यह प्राथमिक शिक्षा के लिए उस समय सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था। राजकुमार रणवीर सिंह का कम उम्र में ही निधन हो गया जिसके बाद राजा रणंजय सिंह के नेतृत्व में समाज की मांग के अनुरूप एक के बाद एक संस्थान बनते चले गए। वैदिक ज्ञान के प्रसार के लिए रणवीर वैदिक विद्या मंदिर की स्थापना की गई। रणवीर इंटर कॉलेज , बालिकाओं की शिक्षा के लिए रानी सुषमा इंटर कॉलेज मुंशीगंज तथा उच्च शिक्षा के लिए श्री रणवीर रणंजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय और रानी सुषमा देवी महाविद्यालय की स्थापना की गई। अपने समय में ये सभी विद्यालय जनपद ही नहीं बल्कि आस पड़ोस के जनपद के लोगों के लिए शिक्षा के प्रमुख केंद्र हुए। शिक्षा के प्रति राजा रणंजय सिंह के लगाव को देखते हुए काशी की विद्वानों ने उन्हें राजर्षि की उपाधि दी।

समय के साथ बढ़ते गए संस्थान

राजर्षि रणंजय सिंह निधन के बाद उनके पुत्र और अमेठी के वर्तमान राजा डॉ. संजय सिंह ने भी उस मिशन को जारी रखा। उन्होंने तकनीकी शिक्षा और मेडिकल शिक्षा की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए राजर्षि रणंजय सिंह स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना की जहां पर इंजीनियरिंग के साथ ही प्रबंधन के गुर भी सिखाए जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने एक बी फार्मा कॉलेज भी बनवाया। नए दौर में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा के लिए राजर्षि रणंजय सिंह ग्लोबल स्कूल की स्थापना की गई। कृषि की शिक्षा के लिए सीतापुर में किसान विज्ञान केंद्र भी राज परिवार द्वारा ही बनाया गया है। इन सभी संस्थाओं में हजारों की संख्या में छात्र पढ़ाई कर हर वर्ष निकाल रहे हैं। इन संस्थाओं से निकले लोग देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

अन्य विद्यालयों के लिए भी दिया प्रोत्साहन

राजा रणंजय सिंह व डॉ. संजय सिंह ने अमेठी के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी विद्यालयों के लिए प्रोत्साहन दिया। गौरीगंज में भी राजा रणंजय सिंह के नाम पर श्री रणंजय इंटर कॉलेज व ठेंगहा में भी उनके नाम पर एक विद्यालय का संचालन किया जा रहा है।

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