महाकुंभ से लाउडस्पीकर हटाने की याचिका ने की खारिज, भगदड़ को लेकर एक और PIL दाखिल
- अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने केवल घोषणा करने के लिए लगाए गए लाउडस्पीकरों की तस्वीरें दायर की थीं और उन्हें अस्थायी सार्वजनिक सड़कों पर रखा गया था। अदालत ने कहा कि इस तरह की संक्षिप्त याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने महाकुंभ मेले से लाउडस्पीकरों को हटाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को इस आधार पर खारिज कर दिया है कि याचिका में यह इंगित करने के लिए डेटा की कमी थी कि सार्वजनिक संबोधन प्रणाली अनुमेय सीमा से अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा कर रही थी। उधर, 29 जनवरी को महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर हाईकोर्ट में एक अन्य जनहित याचिका भी दाखिल की गई है। लाउडस्पीकरों को हटाने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि इस तरह की संक्षिप्त याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं, ब्रह्मचारी दयानंद और एक अन्य ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दावा किया था कि जब वे महाकुंभ के सेक्टर 18 में प्रचार कर रहे थे, तो उनके आसपास के शिविरों में लाउडस्पीकर (सार्वजनिक संबोधन प्रणाली) और एलसीडी का उपयोग किया जा रहा था, जिससे ध्वनि प्रदूषण हो रहा था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि इस तरह के ध्वनि प्रदूषण से उनके ध्यान में बाधा उत्पन्न होती है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने केवल घोषणा करने के लिए लगाए गए लाउडस्पीकरों की तस्वीरें दायर की थीं और इन्हें अस्थायी सार्वजनिक सड़कों पर लगाया गया था।
यह देखते हुए कि याचिकाकर्ताओं ने यह नहीं दिखाया कि सार्वजनिक संबोधन प्रणालियाँ किस प्रकार ध्वनि प्रदूषण का कारण बन रही हैं, मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने कहा, “याचिका दायर करना सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों और लाउडस्पीकरों की कुछ तस्वीरें पेश करने के आधार पर किए गए एक अकादमिक अभ्यास पर आधारित है। इस तरह की संक्षिप्त याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।” इसके बाद अदालत ने 10 फरवरी को अपने फैसले में जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
कुंभ भगदड़ पर एक और जनहित याचिका दायर
29 जनवरी को प्रयागराज में महाकुंभ में हुई भगदड़ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और प्राधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक और जनहित याचिका दायर की गई है। वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर इस जनहित याचिका में राज्य को घटना पर एक व्यापक स्थिति रिपोर्ट पेश करने और भगदड़ में हताहतों की संख्या जारी करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। भगदड़ के बाद लापता हुए सभी लोगों का विवरण एकत्र करने के लिए न्यायिक निगरानी समिति के गठन की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पहले से ही उच्च न्यायालय में लंबित है।