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'शिक्षकों का काम पढ़ाना', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव ड्यूटी को लेकर दिया अहम आदेश

  • Election Duty: हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों को अंधाधुंध तरीके से चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाना चाहिए। शिक्षकों की प्राथमिक भूमिका शिक्षा देना है। उन्‍हें बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में नियुक्‍त करना अंतिम उपाय होना चाहिए।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, विधि संवाददाता, प्रयागराजWed, 12 Feb 2025 02:30 PM
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'शिक्षकों का काम पढ़ाना', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव ड्यूटी को लेकर दिया अहम आदेश

Election Duty: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव ड्यूटी को लेकर एक महत्‍वपूर्ण आदेश में कहा है कि शिक्षकों का प्राथमिक काम पढ़ाना है। चुनाव में उनकी ड्यूटी अंतिम विकल्‍प के रूप में ही लगाई जाए। कोर्ट ने समाज में शिक्षकों की भूमिका को ध्‍यान में रखते हुए चुनाव ड्यूटी में उनके उपयोग को सीमित किया है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों को अंधाधुंध तरीके से चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाना चाहिए। उनकी प्राथमिक भूमिका शिक्षा देना है। उन्‍हें बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में नियुक्‍त करना अंतिम उपाय होना चाहिए। यह आदेश न्‍याय‍मूर्ति अजय भनोट ने झांसी के परिषदीय विद्यालय में कार्यरत शिक्षक सूर्य प्रताप सिंह और कई अन्‍य जिलों के शिक्षकों की याचिका पर दिया है।

प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्‍यापक सूर्य प्रताप सिंह ने याचिका दाखिल कर 16 अगस्‍त 2024 के आदेश द्वारा बूथ लेवल अधिकारी के रूप में अपनी नियुक्ति को चुनौती दी थी। यानी का कहना था कि उनका चुनाव में कार्य मतदाता सूची में संशोधन करना शामिल था। यह लगातार चलने वाला काम है और यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्‍लंघ करता है। याची के अधिवक्‍ता एमसी त्रिपाठी का कहना था कि शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी लगाना गलत है।

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बीएसए झांसी के अधिवक्‍ता रामानंद पांडेय ने तर्क दिया कि केंद्रीय चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत शिक्षकों की बीएलओ के रूप में ड्यूटी लगाई जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा किसी राष्‍ट्र की स्‍वतंत्रता की रक्षा और आर्थिक समृद्ध‍ि का इंजन है। यह केवल कक्षा में दी जाने वाली किताबी शिक्षा नहीं है बल्कि मानव विकास की एक समग्र प्रक्रिया है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की चुनाव कार्य में ड्यूटी लगाई जा सकती है लेकिन यह ड्यूटी अंतिम उपाय के रूप में होनी चाहिए।

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कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जिला चुनाव अधिकारियों को तीन महीने के भीतर बीएलओ की सूची की समीक्षा और संशोधन करना चाहिए। यह सुनिश्चित करते हुए कि शिक्षकों को केवल अंतिम उपाय के रूप में ही नियुक्‍त किया जाए।

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