सल्फर के साथ नाइट्रोजन के प्रयोग से बढ़ेगी फसल की पैदावार
Aligarh News - - जलवायु परिवर्तन को लेकर एएमयू प्रोफेसर ने किया शोध प्रस्तुत - प्रोफेसर ने दस

- सिर्फ नाइट्रोजन की जगह सल्फर के साथ नाइट्रोजन के प्रयोग से बढ़ी पैदावार - नाइट्रोजन और सल्फर के प्रयोग से मिट्टी में बढ़ी एथलीन हार्मोन की मात्रा फोटो 00 अलीगढ़ । कार्यालय संवाददाता फसलों की पैदावार अच्छी हो हर किसान चाहता है। पर कैसे अच्छी हो यह विषय हमेशा से शोध का रहा है। इस क्रम में एएमयू के वनस्पति विभाग में एक शोध किया गया है। शोध के मुताबिक सल्फर के साथ नाइट्रोजन का प्रयोग किया जाए तो फसल की पैदावार अधिक हो सकती है। विश्व में तेजी हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विवि के वनस्पति वज्ञिान विभाग में प्रोफेसर नफीस अहमद खान द्वारा अभिनव शोध सिंगलिंग अणुओं का उपयोग करके नाइट्रोजन और सल्फर की उपयोग-दक्षता को बढ़ाकर टिकाऊ कृषि विषय पर किया गया।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दशकों में जलवायु परिवर्तन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों में से एक के रूप में उभरा है। जिससे कृषि और खाद्य सुरक्षा प्रभावित हुई है। अक्सर देखा जाता है कि किसान फसल की पैदावार के लिए अधिक मात्रा में नाइट्रोजन का प्रयोग करता है। जो कि सही पद्धति नहीं हैं। सिर्फ नाइट्रोजन का प्रयोग न कर इसके साथ सल्फर के प्रयोग से फसल की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। दस साल चले इस शोध में फसल में 20 फीसदी अधिक पैदावार दर्ज की गई। ऐसे काम करता है सल्फर-नाइट्रोजन शोधकर्ता प्रोफेसर ने बताया कि टिकाऊ कृषि उत्पादकता सीधे नाइट्रोजन और सल्फर उर्वरक इनपुट से जुड़ी हुई है। पोषक उर्वरकों की कम उपयोग दक्षता के कारण लक्ष्य बाधित होता है। मगर नाइट्रोजन और सल्फर के प्रयोग से अजैविक कारणों को दूर किया जा सकता है। जिससे अणुओं में एथिलीन का प्रवाह बढ़ता है। एथिलीन पौधों को अधिक नाइट्रोजन और सल्फर को अवशोषित करने और रक्षा तंत्र को मजबूत करता है। एथिलीन कम सांद्रता पर पौधों की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देता है। साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट सिस्टम को भी मजबूत करता है। प्रोफेसर का शोध यानि एच-इंडेक्स 77 पहुंचा एएमयू प्रो. खान का यह शोध प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने इस विषय पर 27 पुस्तकों का संपादन किया है। उनका एच-इंडेक्स 77 है। प्रो. 2019 से 2023 तक थॉमसन रॉयटर्स/क्लेरिवेट एनालिटक्सि हाईली साइटेड रिसर्चर्स की आधिकारिक सूची में हैं। वह नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के फेलो, लिनियन सोसाइटी ऑफ लंदन के फेलो, इंडियन बॉटनिकल साइंस और इंडियन सोसाइटी ऑफ प्लांट फिजियोलॉजी के फेलो हैं।
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