चार साल बाद पुराने रास्ते पर फिर पहुंचे नेपाली हाथी, यूपी के 31 गांवों में अलर्ट
- लखीमपुर खीरी जिले के जंगलों में नेपाली हाथियों के झुंड ने चार साल बाद एक बार फिर दस्तक दे दी है। यह अपने पुराने रास्ते से ही होकर महेशपुर जंगल होते हुए आवंला जंगल के डोकरपुर बीट पहुंचे हैं।
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यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के जंगलों में नेपाली हाथियों के झुंड ने चार साल बाद एक बार फिर दस्तक दे दी है। यह अपने पुराने रास्ते से ही होकर महेशपुर जंगल होते हुए आवंला जंगल के डोकरपुर बीट पहुंचे हैं। पिछले अनुभवों को देखते हुए इस बार 31 गांवों को अलर्ट किया गया है।नेपाल से आए हाथियों का दल इस समय दक्षिण खीरी में डेरा डाले है। हाथी दुधवा के रास्ते से होकर किशनपुर और फिर दुधवा बफर जोन से होते हुए दक्षिण खीरी की ओर आते हैं। नेपाली हाथियों का एक झुंड नेपाल से दुधवा बफर जोन के रास्ते महेशपुर के जंगल तक पहुंचा है। पहले यह दल महेशपुर जंगल तक ही आता था। लेकिन इस बार यह दल करीब 5 किलोमीटर और आगे बढकर आवंला जंगल तक पहुंचा है। पहले जिस रास्ते पर हाथी आए थे, उस पर हाथियों से बचाव के इंतजाम किए गए थे। कई जगहों पर खाई खोदी गई थी।
इस बार फिर 12 नेपाली हाथियों का दल गांवों से होकर गुजरने वाले रास्ते पर चल रहा है। हाथी महेशपुर से आगे आंवला जंगल होते हुए डोकरपुर बीट तक पहुंच गए हैं। हाथी इस रास्ते पर जंगल से नदी के बीच पड़ने वाले 31 गांवों को अलर्ट करते हुए वन विभाग ने चौकसी बढ़ाई है। वन विभाग ने गांव वालों को सतर्क किया है। इसके अलावा रात को खेतों की रखवाली करने पर भी रोक लगाई गई है।
इन गांवों में है अलर्ट
आंवला जंगल से सटे भीखमपुर, विशोखर, कठिघरा, रजुआपुर, डोकरपुर, स्वामीदयालपुर, हरीशपुर, मक्सूदाबाद, कारीबडेरी, भावदा व सरदारों के झालों को अलर्ट किया गया है।
2022 में पहुंचा था 35 हाथियों का झुंड
आंवला जंगल में सबसे पहले 1988 में हाथियों ने दस्तक दी थी। जिसके तीस साल बाद 2022 अक्टूबर में हाथियों ने जमकर गन्ने की फसल उजाड़ी थी। 2024 के 9 दिसंबर को फिर आधा दर्जन हाथियों ने लालपुर , चपरदहा व झाले में एक दिन रूके थे। इस बार भी हाथियों ने जमकर फसलों को नुकसान पहुंचा था। रविवार सुबह तीन बजे फिर हाथियों के झुंड की सूचना पर ग्रामीण परेशान हैं। पहले से ही बाघ की चहलकदमी से परेशान ग्रामीण हाथियों के आने से दहशत में है।
हाथियों ने रौंद डाली गन्ने व गेहूं की फसल, झोपड़ी उजाड़ी
दक्षिण खीरी वन प्रभाग क्षेत्र के गांव थारंटन स्मिथ के भावदा में पहुंचें हाथियों ने ग्रामीणों की गेहूं व गन्ने की फसल रौंद डाली। वन विभाग व ग्रामीणों ने शोर व पटाखे दगा कर भगाया। जब जाकर हाथी वापस जंगल चले गए। नेपाली हाथियों का एक दल पीटीआर किशनपुर सेंचुरी होते हुए महेशपुर से रविवार सुबह आंवला जंगल पहुंचा। आंवला जंगल के डोकरपुर बीट के गांव भावदा में जंगल से सटे गुरमेल सिंह के झाले के खेतों में घुसे। हाथियों को देखकर वन विभाग व ग्रामीणों ने शोर मचाते हुए पटाखे दागे। भावदा निवासी गुड्डू का दो बीघा व नदी पार के गांव कंटीला के रामभरोसे के तीन बीघा गेहूं हाथियों ने रौंद डाली। हाथियों के आने पर गेहूं रखवाली कर रहा किसान ने मौके से भाग कर जान बचाई।
हाथियों ने खेत में पड़ी किसान की झोपड़ी उजाड़ दी। शोर मचाने पर हाथियों ने कठिना नदी से सटे खेतों में गन्ने की फसल नष्ट कर वापस आंवला जंगल चले गए। लखीमपुर मोहम्मदी मार्ग के सकेथू ईंट भट्ठे पर ईंट पथाई कर रहे लोगों ने सोमवार सुबह हाथियों को वापस कठिना नदी किनारे से महेशपुर जाते देखा गया। हाथियों के वापसी की खबर से वन विभाग व किसानों को राहत मिली। डिप्टी रेंजर रामनरेश वर्मा ने बताया कि हाथियों का झुंड रविवार सुबह तीन बजे आंवला जंगल पहुंचा था जो रात में जंगल से सटे झाला व किसानों की फसल के पास पहुंचे थे। वन विभाग के कर्मचारियों के शोर मचाने व पटाखे दागने पर हाथी वापस जंगल से कठिना नदी किनारे से जंगल चले गए।