स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से अखिलेश यादव ने पल्ला नहीं झाड़ा बल्कि इस मसले को आगे बढ़ाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ से ही सवाल दाग दिए। उन्होंने कहा कि मैं सीएम योगी से ही कुछ पूछना चाहूंगा।
Shivpal Yadav: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैननपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव की शानदार जीत में अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की अहम भूमिका रही है।
जसवंतनगर से ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चाचा शिवपाल विधायक हैं और उनके समर्थन ने इस बड़ी जीत की पटकथा तैयार कर दी। मैनपुरी का नतीजा बता रहा है कि चाचा और भतीजा की एकता का असर हुआ है।
अखिलेश यादव परिवार से ही किसी नेता को लड़ाना चाहेंगे। ऐसे में नाराज चल रहे शिवपाल यादव को यदि यहां से मौका दिया जाए तो चाचा और भतीजे के बीच सियासी और एकता का आधार तैयार हो सकता है।
मंच पर जब सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुलायम सिंह के पार्थिव शरीर पर चढ़ाने के लिए राम गोपाल यादव को पुष्पांजलि दी, तो उन्होंने मौर्य को पास में खड़े शिवपाल यादव को भी यह देने के लिए कहा।
शिवपाल यादव ने कहा, 'नेताजी ने मुझे पढ़ाया भी था। मुझे साइकिल पर बिठाकर स्कूल भी ले जाया करते थे। इसके बाद जब मुझे साइकिल चलानी आ गई थी तो फिर मैं भी नेताजी को बिठाकर ले जाया करता था।
मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश से ही खफा नजर आए, लेकिन जब चुनाव आयोग में पार्टी पर दावेदारी के लिए पत्र लिखने की बात आई तो पीछे हट गए। यही नहीं वह पार्टी में एकता की बातें करने लगे।
अखिलेश यादव की सियासत में कई बार भावुकता में लिए गए फैसले नजर आते हैं। इसके अलावा वह व्यक्तिगत और तीखे हमले भी विरोधियों पर करते रहे हैं। इस मोर्चे पर वह मुलायम सिंह यादव से सीख ले सकते हैं।
मुलायम सिंह यादव ने अपने परिवार के छह सदस्यों को सांसद बनाया और बेटे अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री। उनके परिवार के 25 से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो राजनीति में सक्रिय हैं।
सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव की 2024 के लोकसभा चुनाव में टेंशन बढ़ सकती है। वह भी ऐसे समय में जब उनकी चाचा शिवपाल यादव से अनबन चल रही है और अपर्णा यादव पहले ही भाजपा की मेंबर हो चुकी हैं।