mulayam singh yadav charkha daav against shivpal yadav for akhilesh yadav samajwadi party - India Hindi News क्या शिवपाल के खिलाफ भी मुलायम सिंह यादव ने बेटे के लिए चला था चरखा दांव? क्यों होती है चर्चा, India Hindi News - Hindustan
Hindi NewsIndia Newsmulayam singh yadav charkha daav against shivpal yadav for akhilesh yadav samajwadi party - India Hindi News

क्या शिवपाल के खिलाफ भी मुलायम सिंह यादव ने बेटे के लिए चला था चरखा दांव? क्यों होती है चर्चा

मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश से ही खफा नजर आए, लेकिन जब चुनाव आयोग में पार्टी पर दावेदारी के लिए पत्र लिखने की बात आई तो पीछे हट गए। यही नहीं वह पार्टी में एकता की बातें करने लगे।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 11 Oct 2022 11:39 AM
share Share
Follow Us on
क्या शिवपाल के खिलाफ भी मुलायम सिंह यादव ने बेटे के लिए चला था चरखा दांव? क्यों होती है चर्चा

मुलायम सिंह यादव का पहलवानी से इतर सियासत में भी चरखा दांव मशहूर रहा है। एक समय में सोनिया गांधी को पीएम बनने से रोकने और अजित सिंह को सीएम न बनने देने वाले मुलायम सिंह ने अपने परिवार की जंग में भी ऐसा ही दांव चला था। ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं। दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में आपसी कलह देखने को मिली थी। इसमें शुरुआती दौर में तो मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश से ही खफा नजर आए, लेकिन जब चुनाव आयोग में पार्टी पर दावेदारी के लिए पत्र लिखने की बात आई तो पीछे हट गए। यही नहीं वह पार्टी में एकता की बातें करने लगे और अंत में अखिलेश यादव ही सपा के सर्वेसर्वा हो गए और शिवपाल यादव को अपनी अलग पार्टी बनानी पड़ी।

LIVE: सैफई मेला ग्राऊंड पहुंचा पार्थिव शरीर, रथ के साथ चला रेला

सपा और यूपी की राजनीति को समझने वाले जानकार मानते हैं कि शायद इसके पीछे मुलायम सिंह यादव का ही दांव था कि बेटे अखिलेश यादव के आगे से सारे कील-कांटे हटा दिए जाएं। दरअसल अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच 2015 में अदावत शुरू हुई थी, जब शिवपाल ने भतीजे के तीन करीबियों को पार्टी से बाहर कर दिया था। इन लोगों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे। इस पर अखिलेश यादव ने सैफई महोत्सव से दूरी बना ली और नाराजगी का खुला इजहार किया। लेकिन यह जंग तब सड़कों पर आई, जब शिवपाल ने मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय का ऐलान किया। 

शिवपाल को जब अखिलेश ने कैबिनेट से ही किया बाहर

अखिलेश यादव ने इसके जवाब में शिवपाल के करीबी बलराम यादव को मंत्री परिषद से बाहर कर दिया था। इसके बाद शिवपाल और अखिलेश के बीच खुलकर बयानबाजी शुरू हो गई थी। आखिर यह टकराव तब तेज हुआ, जब अखिलेश यादव ने शिवपाल और गायत्री प्रजापति को ही कैबिनेट से बाहर कर दिया। फिर मुलायम सिंह यादव ने दखल दिया और शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद समझौता हुआ तो शिवपाल कैबिनेट में लौटे, लेकिन मंत्रालय कमजोर मिला। अंत में 1 जनवरी, 2017 को पार्टी कार्यकारिणी का स्पेशल सेशन बुलाकर अखिलेश यादव को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। 

नेपथ्य में शिवपाल और अखिलेश बने सपा के सर्वेसर्वा

मुख्तार की पार्टी के विलय पर अखिलेश यादव ने कई बार दोहराया कि सपा उन लोगों का समर्थन नहीं करेगी, जिनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हैं। इसके बाद पार्टी के सम्मेलन में भी टकराव हुआ और अंत में अखिलेश यादव गुट की कार्यकारिणी बैठक ने उन्हें ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवा दिया। तब मुलायम सिंह यादव के भी अपमान की चर्चाएं छिड़ीं, लेकिन अंत में वह बेटे से राजी हो गए। लेकिन चाचा और भतीजे के बीच दूरी बन गई। वह दूरी आज भी कायम है और शिवपाल यादव अपनी अलग पार्टी के साथ नेपथ्य में दिखते हैं, जबकि मुलायम की बनाई सपा के उनके बेटे ही सर्वेसर्वा हैं। 

क्यों होती है शिवपाल पर चरखा दांव चलने की चर्चा

मुलायम सिंह यादव के बेटे के लिए चरखा दांव चलने की चर्चाएं इसलिए होती हैं क्योंकि अखिलेश ने अध्यक्ष बनने के बाद साइकिल सिंबल के लिए चुनाव आयोग में दावा ठोंका था। तब मुलायम सिंह यादव दिल्ली आए और कयास लगे कि वह पार्टी पर दावा ठोक सकते हैं। लेकिन वह नहीं गए और अमर सिंह एवं शिवपाल जैसे करीबी नेताओं को निराश किया। उन्होंने सपा कार्यालय पहुंचकर कहा कि पार्टी को एक रखना है। शायद उनके इस बयान का ही असर था कि आजम खान, राजेंद्र चौधरी, राम गोविंद चौधरी समेत तमाम सीनियर नेता अखिलेश यादव के ही साथ हो लिए।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।