एक हुए चाचा-भतीजा तो मैनपुरी में दिया दमदार नतीजा, 2024 में यहां बढ़ेगी भाजपा की टेंशन
जसवंतनगर से ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चाचा शिवपाल विधायक हैं और उनके समर्थन ने इस बड़ी जीत की पटकथा तैयार कर दी। मैनपुरी का नतीजा बता रहा है कि चाचा और भतीजा की एकता का असर हुआ है।
मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Loksabha Seat) पर उनकी बहू डिंपल यादव (Dimple Yadav) ने 2.80 लाख वोटों के अंतर से बड़ी जीत हासिल की है। उनकी इस जीत में जसवंतनगर विधानसभा सीट का अहम योगदान है, जहां से उन्हें 1 लाख से ज्यादा वोटों की बढ़त मिली थी। जसवंतनगर से ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चाचा शिवपाल विधायक हैं और उनके समर्थन ने इस बड़ी जीत की पटकथा तैयार कर दी। मैनपुरी का नतीजा बता रहा है कि चाचा और भतीजा की एकता का असर हुआ है। यही नहीं नतीजे के कुछ देर बाद ही शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने अपनी पार्टी प्रसपा का सपा में विलय कर लिया। इस मौके पर अखिलेश यादव ने 2017 में अलग राह अपनाने वाले अपने चाचा के पैर छुए और सपा का झंडा देकर पार्टी में वापसी कराई।
शिवपाल यादव की सपा में वापसी से अखिलेश यादव को बड़ी ताकत मिली है और पार्टी एवं परिवार के भीतर उनके लिए चुनौती कम हुई है। यही नहीं लगातार दो विधानसभा चुनाव में नुकसान उठा चुके चाचा और भतीजा दोनों के लिए यह एकता आने वाले वक्त में फलदायी हो सकती है। खासतौर पर अखिलेश यादव को आलू पट्टी कहे जाने वाले इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, फर्रूखाबाद, कन्नौज, औरैया जैसे इलाकों में फायदा होगा। इन क्षेत्रों में शिवपाल यादव की भी अच्छी पकड़ रही है। वह सपा के लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष थे। इसके चलते काडर में उनकी पकड़ थी।
वह पार्टी से दूर गए तो कार्यकर्ताओं में भी पार्टी में टूट का संदेश गया। इसके अलावा परिवार में ही कलह की बात ने अखिलेश यादव की छवि कमजोर की थी। अब जबकि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और चाचा ने उनके नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है तो अखिलेश यादव के लिए यह डैमेज कंट्रोल होने जैसा है। सपा में फूट के बाद से ही इटावा और आसपास के जिलों में भाजपा मजबूत हुई है। ऐसे में सपा अब अखिलेश और शिवपाल की एकता के बाद वापसी की राह तलाश सकेगी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद परिवार में जिस एकता की जरूरत महसूस की जा रही थी, वह अब पूरी होती दिख रही है।
बदले नजर आए अखिलेश, चाचा को खूब दे रहे सम्मान
यूपी चुनाव के दौरान कई बार शिवपाल यादव की एकता की अपीलों को खारिज करने वाले अखिलेश यादव का बर्ताव अब काफी बदला हुआ दिख रहा है। मैनपुरी में एक जनसभा के दौरान जब शिवपाल मंच पर पहुंचे तो भतीजे ने पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। पिता की अंत्येष्टि से लेकर तमाम कर्मकांडों के दौरान वह कंधे से कंधा मिलाकर चलते दिखे। इस तरह अखिलेश ने चाचा को वह सम्मान दोबारा दिया, जिसकी तड़प वह कई बार जाहिर कर चुके थे। शायद अखिलेश के इस बदले रूप ने ही एकता की आधारशिला मजबूत की।