रामचरितमानस विवाद पर क्यों स्वामी को 'प्रसाद' दे रहे अखिलेश, चाचा शिवपाल के बराबर ओहदा
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से अखिलेश यादव ने पल्ला नहीं झाड़ा बल्कि इस मसले को आगे बढ़ाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ से ही सवाल दाग दिए। उन्होंने कहा कि मैं सीएम योगी से ही कुछ पूछना चाहूंगा।

रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने विवादित टिप्पणी की थी। उसके बाद यह विवाद देखते ही देखते उत्तर प्रदेश तक आ पहुंचा। यही नहीं इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी टिप्पणी कर दी, जिस पर रार शुरू हो गई। पहले भी स्वामी प्रसाद मौर्य गौरी-गणेश जैसे हिंदू प्रतीकों पर टिप्पणी कर चुके हैं। हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से अखिलेश यादव ने पल्ला नहीं झाड़ा बल्कि इस मसले को आगे बढ़ाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ से ही सवाल दाग दिए। उन्होंने कहा कि मैं सीएम योगी से ही कुछ चौपाइयों के बारे में पूछना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि मैं उनसे जानना चाहता हूं कि आखिर शूद्र का अर्थ क्या है? मैं शूद्र में आता हूं या नहीं।
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने शूद्र वाला सवाल उठाकर पिछड़ों और दलितों की लामबंदी की कोशिशें तेज कर दी हैं। इस कोशिश में वह स्वामी प्रसाद मौर्य को भी अहम मान रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें नई बनी कार्यकारिणी में राष्ट्रीय महासचिव का दर्जा दिया है। यही पद अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव को भी दिया है। इस तरह चाचा और स्वामी प्रसाद मौर्य को अखिलेश यादव ने एक ही पायदान पर ला खड़ा किया है। सपा ने शिवपाल यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 15 दिग्गजों को राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। सपा संविधान के मुताबिक महासचिव पार्टी के नीतियों को धरातल पर उतारने का काम करते हैं।
यादवों के बाद मौर्य बिरादरी की ओबीसी में बड़ी आबादी
यूपी की राजनीति को समझने वाले मानते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य से सपा को भले ही 2022 के चुनाव में फायदा न दिखा हो, लेकिन आने वाले समय में इसका असर हो सकता है। वह जिस मौर्य बिरादरी से आते हैं, उसकी आबादी यादवों के बाद ओबीसी वर्ग में दूसरे स्थान पर है। मायावती और योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य यूपी चुनाव 2022 से ऐन पहले सपा में शामिल हुए थे। यूपी पॉलिटिक्स में स्वामी प्रसाद की गिनती मौर्य जाति के सबसे बड़े नेताओं में होती है। फिर स्वामी का असर तो यूपी के कई जिलों में माना जाता है।
कई जिलों में है स्वामी का असर, पूर्व से पश्चिम तक कनेक्शन
वह प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले हैं और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा कुशीनगर की पडरौना सीट से भी वह विधायक रहे हैं। इतना ही नहीं उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से भाजपा की सांसद हैं। इस बार बेटी को शायद ही भाजपा का टिकट मिले, लेकिन सपा जरूर उन्हें मौका दे सकती हैं। इस तरह स्वामी प्रसाद मौर्य़ का तीन लोकसभा सीटों पर असर है- बदायूं, प्रतापगढ़ और कुशीनगर। स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा में प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। ऐसे में उन्हें विपक्ष की लड़ाई का भी अनुभव है। आने वाले दिनों में स्वामी को कुछ और जिम्मेदारी भी दे सकती है।
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