आप अमेरिका की सुन क्यों रहे हैं;सीजफायर के बहाने अशोक गहलोत का मोदी सरकार से सवाल
कांग्रेस दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित किया,यह निराशाजनक था। उन्होंने अच्छी बातें कीं। आतंकवाद,परमाणु बमों के बारे में कुछ भविष्य के वादे किए,यह अच्छी बात है, लेकिन देश जो उम्मीद कर रहा था,वह किसी को समझ नहीं आया।

भारत और पाकिस्तान के बीच चले युद्ध के दौरान हिंदुस्तान काफी आगे था। 9 आतंकी ठिकानों के ध्वस्त करने के साथ एयरबेस को नुकसान पहुंचाने के बाद जनता यह उम्मीद लगा बैठी थी कि अगला लक्ष्य पीओके पर कब्जा होगा,लेकिन अमेरिकी दखल ने जैसे भारतीयों को मायूस रकर दिया। इसके बाद देश के ही लोग मोदी सरकार को घेर रहे हैं। विपक्ष भी भारत के अमेरिका के कहने पर युद्ध स्थगित करने के फैसले से हैरान है। अब इसी कड़ी में राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाया। गहलोत ने सीधा सवाल किया कि आप अमेरिका की सुन क्यों रहे हैं?
कांग्रेस दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित किया,यह निराशाजनक था। उन्होंने अच्छी बातें कीं। आतंकवाद,परमाणु बमों के बारे में कुछ भविष्य के वादे किए,यह अच्छी बात है, लेकिन देश जो उम्मीद कर रहा था,वह किसी को समझ नहीं आया। युद्धविराम को गुप्त रूप से कैसे किया जा सकता है। हम भी युद्ध नहीं चाहते हैं,सशस्त्र बलों ने जो सबसे अच्छी बात की,उन्होंने न तो नागरिकों को नुकसान पहुंचाया और न ही पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर हमला किया। पूरी दुनिया ने सराहना की।
गहलोत ने आगे कहा कि पहलगाम हमले पर हर कोई गुस्से में था। भारतीय सशस्त्र बल आजादी के बाद से बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। अमेरिका ने हमेशा भारत पर दबाव डाला है। शिमला समझौता हुआ,अब अमेरिकी राष्ट्रपति ने हस्तक्षेप किया है। प्रधानमंत्री,विदेश मंत्रालय को स्पष्ट करना चाहिए कि हम उन्हें क्यों सुन रहे हैं? अशोग गहलोत ने आगे कहा कि हमारा इतिहास रहा है कि आजादी के बाद भारत की सेनाओं ने कमाल ही किया है। अमेरिका ने हर बार भारत पर दबाव बनाया है,चाहे गोवा हो,सिक्किम हो या फिर 1971 की लड़ाई में बांग्लादेश बना।
अशोक गहलोत ने आगे कहा कि अमेरिका ने पहले भी हिंदुस्तान पर दबाव बनाया था, लेकिन हम कभी झुके नहीं और पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। शिमला समझौते के वक्त भी हमने किसी दूसरे देश को बीच में आने नहीं दिया। लेकिन अब जिस तरह से डोनाल्ड ट्रंप बीच में आ रहे हैं,उस पर प्रधानमंत्री मोदी और सरकार को जवाब देना चाहिए। आख़िर ट्रंप के बयानों पर सरकार स्पष्टीकरण क्यों नहीं दे रही है?