Hindi Newsपंजाब न्यूज़Farmers and AAP government at loggerheads angry Bhagwant Mann leaves the meeting midway

किसानों और AAP सरकार में ठनी! बैठक बीच में छोड़ गए 'भड़के' CM भगवंत मान; अब आगे क्या

  • एसकेएम नेताओं ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में बिना किसी उकसावे के बैठक से ‘चले जाने’ को लेकर मान की आलोचना की और कहा कि एक मुख्यमंत्री के लिए इस तरह का व्यवहार ‘शोभा नहीं देता।’

Nisarg Dixit भाषाTue, 4 March 2025 05:25 AM
share Share
Follow Us on
किसानों और AAP सरकार में ठनी! बैठक बीच में छोड़ गए 'भड़के' CM भगवंत मान; अब आगे क्या

किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए पंजाब सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेताओं के बीच सोमवार को वार्ता बीच में ही टूट गई। किसान नेताओं ने दावा किया कि (पंजाब के) ‘नाराज’ मुख्यमंत्री भगवंत मान ‘बिना किसी उकसावे के बैठक से चले गए।’ हालांकि, मान ने कहा कि किसानों से बातचीत के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं, लेकिन आंदोलन के नाम पर जनता के लिए असुविधा और परेशानी खड़ी करने से बचा जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री के साथ दो घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रहने के बाद SKM के नेताओं ने पांच मार्च से यहां एक सप्ताह तक धरना देने की अपनी योजना पर आगे बढ़ने की घोषणा की। पंजाब सरकार ने एसकेएम नेताओं को उनके नियोजित विरोध प्रदर्शन से पहले यहां पंजाब भवन में मुख्यमंत्री के साथ बैठक के लिए आमंत्रित किया था।

एक बयान में मान ने कहा कि सरकार समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित मुद्दों को बातचीत के माध्यम से हल करने के लिए हमेशा तैयार है तथा रेल या सड़क अवरोधों के माध्यम से आम आदमी के लिए परेशानी खड़ी करने से बचा जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से आम जनता को परेशानी होती है, जिसके कारण वे आंदोलनकारियों के खिलाफ हो जाते हैं, जिससे समाज में मतभेद पैदा होता है।

मान ने यह भी कहा कि हालांकि विरोध प्रदर्शन किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि इससे राज्य को कितना बड़ा नुकसान हो सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापारी और उद्योगपति इस बात से दुखी हैं कि (पंजाब में) लगातार सड़क एवं रेल यातायात को बंद किए जाने के कारण उनका कारोबार बर्बाद हो गया है।

उन्होंने किसानों से अपील की कि वे ऐसे तरीके न अपनाएं जो समाज में मतभेद पैदा करते हैं। मान ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के साथ है, लेकिन उनकी मांगों का संबंध केंद्र सरकार से है।

एसकेएम नेताओं ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में बिना किसी उकसावे के बैठक से ‘चले जाने’ को लेकर मान की आलोचना की और कहा कि एक मुख्यमंत्री के लिए इस तरह का व्यवहार ‘शोभा नहीं देता।’

एसकेएम नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ चर्चा सुचारू रूप से चल रही थी। उन्होंने कहा कि आधी मांगों पर चर्चा हो चुकी थी और उसी बीच मान ने किसान नेताओं से ‘धरना’ नहीं देने या सड़कों पर नहीं बैठने का अनुरोध किया । उग्राहन ने कहा, ‘उन्होंने (मान ने) हमसे पूछा कि क्या हम पांच मार्च के अपने कार्यक्रम पर आगे बढ़ेंगे।’

उन्होंने कहा कि अठारह में से आठ-नौ मांगों पर चर्चा हो जाने के बाद मान ने कहा कि उनकी आंख में संक्रमण है जिसकी वजह से उन्हें जाना होगा। उग्राहन ने कहा, ‘हमने बैठक से पहले पूछा था कि मुख्यमंत्री के पास कितना समय है, जिस पर उन्होंने (मान ने) कहा था कि उनके पास पर्याप्त समय है।’

मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर किसान नेताओं से कहा कि उन्होंने इन नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया है, जबकि किसान नेताओं ने तर्क दिया कि हर सरकार किसी भी विरोध प्रदर्शन से पहले उन्हें बैठक के लिए बुलाती है।

उग्राहन ने दावा किया कि इसके बाद मान बैठक से चले गए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केवल एक आश्वासन दिया कि धान की बुवाई एक जून से शुरू होगी।

अन्य किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने दावा किया कि मान ने किसान नेताओं से कहा कि अगर वे पांच मार्च से धरने पर बैठेंगे, तो बैठक के दौरान मांगों पर हुई चर्चा पर विचार नहीं किया जाएगा। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने तो मुख्यमंत्री पर किसानों को धमकाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।

बुर्जगिल ने किसान नेताओं द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों-- प्रकाश सिंह बादल, अमरिंदर सिंह और चरणजीत सिंह चन्नी के साथ की गई कई बैठकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह पहली बार है कि कोई मुख्यमंत्री इस तरह ‘भड़क गए’। बुर्जगिल ने कहा, ‘वह (मान) बिना किसी कारण के भड़क गए। यह उनकी ओर से अच्छा नहीं था।’

राजेवाल ने इसे ‘अफसोसजनक’ बताया कि ‘मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति किसानों को पांच मार्च को अपने कार्यक्रम पर आगे बढ़ने की चुनौती’ देगा। इस बीच, मान ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसान अब भी पंजाब सरकार से जुड़ा ‘कोई कारण नहीं होने के बाद भी’ राज्य में विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा तैयार राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति रूपरेखा के मसौदे को पहले ही खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने राज्य के लिए कृषि नीति का मसौदा तैयार कर लिया है।

एसकेएम ने ही अब निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा के केंद्र के मसौदे को वापस लेने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, राज्य की कृषि नीति को लागू करने और राज्य सरकार द्वारा बासमती, मक्का, मूंग और आलू समेत छह फसलों की एमएसपी पर खरीद की मांग कर रहा है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें