70 के दशक में चीन और अमेरिका दोस्त हुआ करते थे। चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों की शुरुआत 1784 में ही हो गई थी। 1830 में पहली बार अमेरिकी पादरी ईसाई धर्म का प्रचार करने चीन पहुंचे थे।
1850 के बाद से ही चीन और अमेरिका के संबंधों में उतार-चढ़ाव शुरू हो गए। माओत्सो तुंग के शासनकाल के बाद चीन में साम्राज्यवाद का पतन हुआ। अब अमेरिका चीन को सबसे बड़ा दुशमन बताता है। चीन और अमेरिका के बीच एक बार फिर व्यापार युद्ध शुरू हो गया है। अमेरिका पू्ंजीवादी व्यवस्था का सिंबल है। वहीं चीन मार्क्सवाद का समर्थन करता था। हालांकि अब चीन भी पूंजीवादी व्यवस्था में ही विश्वास कर रहा है।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच शीत युद्ध शुरू हो गया था जो कि करीब 45 साल तक चला। 1990 में सोवियत यूनियन का विघटन हो गया और यह कई देशों में टूट गया। तब जाकर शीत युद्ध पर भी विराम लगा। हालांकि रूस अमेरिका का कट्टर दुश्मन ही बना रहा। सोवियत यूनियन के विघटने के बाद अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बन गया।
व्लादिमीर पुतिन के शासनकाल में रूस अमेरिका के सामने फिर सीना तानकर खड़ा हो गया है। शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों में सैन्य, अंतरिक्ष और परमाणु शक्ति के क्षेत्र में खूब खींचतान हुई। अब भी दोनों देश एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं।
1953 में ईरान में लोकतांत्रिक सरकार हटने और तानाशाही शासन होने के बाद से ही दोनों देशों के संबंधों में उतार चढ़ाव शुरू हो गया। कहा जाता है कि ईरान की सरकार गिराने में अमेरिका का ही हाथ था। तानाशह मुहम्मद रजा पहलवी को अमेरिका का एजेंट कहा जाता था।
70 का दशक आते-आते इस्लामिक नेता आयतुल्लाह खामनेई ने शाह को बाहर निकाल दिया। खामनेई ने अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को बंधक बना लिया। इसके बाद दोनों देशों की कट्टर दुश्मनी की कहानी शुरू हो गई। अब अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध थोप रखे हैं।
उत्तर कोरिया के साथ अमेरिका के संबंध लंबे समय से खराब ही हैं। उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन भी खुद को किसी से कम नहीं मानता। ट्रंप ने दोनों देशों के संबंध सुधारने की कोशिश भीकी थी। हालांकि उत्तर कोरिया अमेरिका को युद्ध की धमकी देने से बाज नहीं आता है।
क्यूबा पूंजीवादी नीति के खिलाफ रहता था। फिदेल कास्त्रो ने हमेशा ही अमेरिका का विरोध किया। हालांकि क्यूबा ने 1961 में अमेरिका के राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे। अमेरिका ने भी क्यूबा पर प्रतिबंध ल गा दिए थे। हालांकि क्यूबा की वर्तमान स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
क्यूबा पूंजीवादी नीति के खिलाफ रहता था। फिदेल कास्त्रो ने हमेशा ही अमेरिका का विरोध किया। हालांकि क्यूबा ने 1961 में अमेरिका के राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे। अमेरिका ने भी क्यूबा पर प्रतिबंध ल गा दिए थे। हालांकि क्यूबा की वर्तमान स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।