अमेरिका की यात्रा के दौरान पीएम मोदी का ठिकाना ब्लेयर हाउस होगा। उनके पहुंचने से पहले ब्लेयर हाउस में भारतीय तिरंगा स्थापित किया गया है, जो दिखाता है कि यह राजनयिक यात्रा कितनी अहम है।
प्रेसिडेंट गेस्ट हाउस ब्लेयर हाउस को दुनिया का सबसे एक्सक्लूसिव या विशिष्ट होटल माना जाता है। खबरें हैं कि यह हाउस 70 हजार स्क्वॉयर फीट में फैला हुआ है, जिसे 4 टाउनहाउस जुड़े हुए हैं। इसमें 14 गेस्ट बेडरूम, 35 बाथरूम, 3 बड़े डाइनिंग रूम समेत 119 कमरे हैं। तस्वीरों में अमेरिकी इतिहास और शिल्पकला नजर आती है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय, ब्रिटेन की पूर्व पीएम मार्ग्रेट थेचर समेत दुनिया के कई गणमान्य यहां की गेस्ट लिस्ट में शामिल हैं। भारत के पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू भी बेटी इंदिरा गांधी के साथ यहां 19 दिसंबर 1956 में रुके थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका की सरकार ने ब्लेयर हाउस खरीद लिया था। तब से ही ये राष्ट्रपति के गेस्ट हाउस के तौर पर काम कर रहा है। इसकी देखरेख का जिम्मा विदेश मंत्रालय के पास है। यहां रुकने वालों में राष्ट्रों के प्रमुख, राजदूत और अन्य गणमान्य होते हैं।
ब्लेयर हाउस का पता भी दुनिया भर में मशहूर है। यह अमेरिका के व्हाइट हाउस के ठीक सामने 1651 पेन्सिलवेनिया एवेन्यू पर है। इसे अमेरिकी खातिरदारी का प्रतीक माना जाता है। यह साल 1824 में बनकर तैयार हुआ था और 1837 से ही अमेरिका की राजनीति का बड़ा हिस्सा बना हुआ है।
मोदी और ट्रंप की बैठक में कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। विदेश नीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि कुछ संवेदनशील मुद्दों पर भी बातचीत हो सकती है। हालांकि, मोदी की यात्रा के दौरान क्या एजेंडा होगा, इस पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे वक्त हो रही है, जब ट्रंप 20 जनवरी को पद संभालने के बाद विभिन्न देशों से आयात किए जाने वाले सामान पर शुल्क लगाने की धमकी दे रहे हैं। मोदी की यात्रा से पहले पंजाब के 30 लोगों सहित 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान पांच फरवरी को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था। यह अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत ट्रंप प्रशासन द्वारा निर्वासित किया जाने वाला भारतीयों का पहला जत्था था।
पीएम मोदी ने हाल ही में भारतीय मूल की तुलसी गबार्ड से मुलाकात की है। खास बात है कि अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के पद पर गबार्ड की नियुक्ति की बुधवार को पुष्टि कर दी। गबार्ड पूर्व सैन्य कर्मी हैं और वह डेमोक्रेटिक पार्टी से कांग्रेस (अमेरिकी संसद) की सदस्य रह चुकी हैं। सीनेट ने 48 के मुकाबले 52 मतों से उनकी नियुक्त पर मुहर लगाई।