बॉलीवुड हो या हॉलीवुड या फिर साउथ सिनेमा जब भी किसी फिल्म का जिक्र होता है तो सबसे पहला सवाल हमारे दिमाग में यही होता है कि मूवी में हिरो-हिरोइन कौन हैं? इनके बिना फिल्म की कल्पना करना बड़ा ही मुश्किल होता है। लेकिन अगर हम कहें कि बॉलीवुड की कई ऐसे हैं, जो बिना हिरोइन के बनीं हैं तो आपके लिए यकीन करना मुश्किल होगा। आज हम आपको ऐसी ही फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें हीरोइन नहीं थी।
राज कुमार गुप्ता की एक्शन थ्रिलर फिल्म 'आमिर' में इसी लिस्ट में आती है। इस फिल्म में राजीव खंडेलवाल लीड रोल में थे। फिल्म में उन्होंने एक एक मुस्लिम डॉक्टर की भूमिका निभाई, जिसे न चाहते हुए भी आतंकवादी साजिश में शामिल होने के लिए राजी किया जाता है।
अक्षय कुमार और परेश रावल की फिल्म 'ओएमजी' यानी ओह माई गॉड को दर्शकों ने खूब पसंद किया था। इसमें परेश मेन लीड के तौर पर नजर आए थे। मूवी में अक्षय कुमार की एंट्री ने हर किसी का दिल जीत लिया था। मूवी में अंत तक दर्शकों को फीमेल लीड की कमी नहीं खली।
'धमाल' में हीरो तो पांच थे, लेकिन हीरोइन एक भी नहीं। मूवी में संजय दत्त, रितेश देशमुख, जावेद जाफरी अरशद वारसी जैसे स्टार्स थे।
क्रिकेट लवर्स के लिए 'चैन कुली की मैन कुली' एक शानदार फिल्म है। एक अनाथ बच्चे का क्रिकेटर बनने का सपना और राहुल बोस की एक्टिंग ने सभी का दिल जीत लिया।
'ए वेडनेसडे' में भी हीरोइन नदारद थी। इसमें नसीरुद्दीन शाह के कंधों पर ही पूरी कहानी का भार था।
श्वेत-श्याम के निर्देशन में बनी फिल्म 'यादें' में सुनील दत्त लीड रोल में थे। इसमें उन्होंने किसी एक्ट्रेस को नहीं लिया।
आमिर खान की फिल्म 'तारे जमीं पर ' एक टीचर और स्टूडेंट के बीच के रिश्ते पर बनी है। इसमें आमिर के साथ दर्शिल सफारी की एक्टिंग की खूब तारीफ हुई। मूवी में टिस्का चोपड़ा जरूर थीं, लेकिन उन्हें लीड नहीं कहा जा सकता।
'फरारी की सवारी' एक पिता और बेटे के बीच की इमोशनल केमिस्ट्री पर बेस्ड है।