संसद में उपद्रव मचाने वालों का पॉलीग्राफ टेस्ट, गिरफ्तारी को अवैध बताने वाली नीलम को HC से झटका
नीलम आजाद ने अपने वकील सुरेश कुमार के जरिए आरोप लगाया था कि उनकी गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी और यह संविधान के खिलाफ है। याचिका में आगे कहा गया था कि नीलम को दोपहर में गिरफ्तार किया गया था।
संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाने के मामले में अब पुलिस सभी आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने की तैयारी में है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस सिलसिले में पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में सभी आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट की मांग की गई है। अब इस मामले में 2 जनवरी, 2024 को सुनवाई होगी। संसद में उपद्रव मचाने के आरोप में अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष आवेदन दायर किया गया। लेकिन कुछ आरोपियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील के उपस्थित न रहने की वजह से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने मामले को दो जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया। याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस छह आरोपियों को भी अदालत में लेकर आई थी। आरोपी मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल धनराज शिंदे, नीलम देवी, ललित झा और महेश कुमावत फिलहाल पांच जनवरी तक पुलिस हिरासत में हैं। लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह ने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व किया।
आरोपियों का मकसद क्या था...
दिल्ली पुलिस ने पहले अदालत को बताया था कि हमला सुनियोजित था। लोक अभियोजक ने अदालत के समक्ष आगे कहा था कि आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है ताकि हमले के वास्तविक मकसद का पता लगाया जा सके और यह भी जानकारी मिल सके कि कहीं उनके किसी अन्य दुश्मन देश या आतंकवादी संगठनों के साथ कोई संबंध तो नहीं हैं।
नीलम आजाद को HC से झटका
इधर दिल्ली हाई कोर्ट से इस मामले की एक आरोपी नीलम आजाद को झटका लगा है। नीलम आजाद ने अदालत में याचिका लगा कर उनकी पुलिस कस्टडी पर सवाल उठाते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की थी और इस याचिका पर जल्द सुनवाई की भी मांग की थी। लेकिन अदालत ने इसपर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। नीलम आजाद को अन्य आरोपियों के साथ 13 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था।
अदालत में जस्टिस नीना बंसल कृष्ण और जस्टिस शैलेंद्र कौर की वेकेशन बेंच ने गुरुवार को इस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। इसके साथ ही अदालत की बेंच ने यह भी कहा कि अब इस मामले में 3 जनवरी, 2023 को सुनवाई होगी। नीलम आजाद ने अपने वकील सुरेश कुमार के जरिए आरोप लगाया था कि उनकी गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी और यह संविधान के खिलाफ है। याचिका में आगे कहा गया था कि नीलम को दोपहर में गिरफ्तार किया गया था और उनके परिवार को इसके बारे में शाम के वक्त जानकारी दी गई थी।
एडवोकेट सुरेश कुमार ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा था, 'किसी शख्स को गिरफ्तार करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गाइडलाइन जारी किए गए हैं। हमें ऐसा लगता है कि इस केस में गाइडलाइन को फॉलो नहीं किया गया है।' नीलम आजद ने आरोप लगाया था कि उनकी गिरफ्तारी के 29 घंटे के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया जो कि कानून के मुताबिक नहीं है। ट्रायल कोर्ट ने 21 दिसंबर को नीलम आजाद को ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की रिमांड पर भेजा था। इसपर नीलम ने कहा था कि रिमांड पर भेजे जाने की कार्यवाही के दौरान उन्हें उनकी पसंद का वकील चुनने की अनुमति नहीं दी गई थी।
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