गाजियाबाद में पेट्रोल पंपों के जरिए रखी जाएगी पुरानी गाड़ियों पर नजर, खास कैमरे करेंगे क्या-क्या काम
समय सीमा पूरे कर चुकी गाड़ियों को अब पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। गाजियाबाद जिले के सभी पंट्रोल पंपों पर विशेष सीसीटीवी कैमरों के जरिये इनकी निगरानी होगी। जून माह तक सभी 110 पेट्रोल पंपों पर इस व्यवस्था को शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।

समय सीमा पूरे कर चुकी गाड़ियों को अब पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। गाजियाबाद जिले के सभी पंट्रोल पंपों पर विशेष सीसीटीवी कैमरों के जरिये इनकी निगरानी होगी। जून माह तक सभी 110 पेट्रोल पंपों पर इस व्यवस्था को शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वाहनों की समय सीमा निर्धारित की गई है। पेट्रोल से संचालित वाहनों की समय सीमा 15 साल और डीजल के चलने वाले वाहनों की आयु सीमा दस साल तय की गई है। इस आयु सीमा के बाद एनसीआर में इन वाहनों को प्रदूशष के मद्देनजर चलाने की इजाजत नहीं है। बावजूद इसके गाजियाबाद क्षेत्र में करीब सवा तीन लाख वाहन आयु सीमा पूरी होने के बाद भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने इन पर अंकुश लगाने के लिए ऐसे वाहनों को ईंधन न दिए जाने की प्रणाली लागू की गई है। गाजियाबाद में अभी यह लागू नहीं है। इसके लिए मेरठ जोन के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से डिवीजनल ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को एक पत्र भेजकर उस प्रणाली को यहां भी लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए सभी 110 पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन कैमरे (एएनपीआर) लगाने को कहा गया है। एक सप्ताह में इसी पूरी कार्ययोजना तैयार करके के भी निर्देश दिए हैं।
इस समय 3.18 लाख वाहन सड़कों पर दौड़ रहे : इस समय सड़कों पर 3.18 लाख पुराने वाहन अवैध रूप से दौड़ रहे हैं और प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। संभागीय परिवहन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 10 साल पुराने डीजल वाहनों में 10,951 ट्रेक्टर, 18,050 कार और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों में 2,55,888 दोपहिया, 33,892 कार शामिल हैं।
कैमरे नंबर प्लेट की पहचान कर अलर्ट भेजेंगे
इस योजना के तहत सभी 110 पंट्रोल पंप पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरे लगेंगे। ये कैमरे पुराने वाहनों की नंबर प्लेट पहचानकर अलर्ट भेजेंगे। एक मैसेज पंप संचालक तक पहुंचगा, जिसके बाद संबंधित नंबर की गाड़ी को पेट्रोल और डीजल नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही एक मैसेज परिवहन विभाग के पास पहुंचेगा। इससे पता चल सकेगा कि वाहन अभी तक सड़क पर दौड़ रहा है। इतनी ही नहीं नंबर स्कैन होते ही तय सीमा तक का वाहन का चालान भी अपने आप हो जाएगा। जो ट्रैफिक विभाग के पास और गाड़ी मालिक के मालिक के पास भी पहुंचेगा।
अमित तिवारी, डिस्ट्रिक्ट सप्लाई ऑफिसर, ''डिवीजनल ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के निर्देश पर पंट्रोल पंपों से ब्यौरा मांगा है। उनके यहां कितने और कहां कहां कैमरे लगा जा सकते हैं। एक सप्ताह में इसी रिपोर्ट तैयार करके विभाग को भेजी जाएगी। उसी आधार पर इन कैमरों की लागत तय की जाएगी। उसके बाद इन्हें लगाने का काम शुरू होगा।''