बोर्ड परीक्षा के दिन जाम से छात्र अभिभावक बेहाल, आम लोग बने मददगार
इंट्रो सुबह तकरीबन साढ़े दस बजे एक मोटरसाइकिल से दो बच्चे आईपी एक्सटेंशन

इंट्रो सुबह तकरीबन साढ़े दस बजे एक मोटरसाइकिल से दो बच्चे आईपी एक्सटेंशन स्थित एवीबी स्कूल के बाहर उतरे, उन्होंने मोटरसाइकिल सवार के पैर छुए और दौड़कर परीक्षा केंद्र में पहुंच गए। पहले लगा कि मोटरसाइकिल सवार परिवार का कोई बड़ा होगा जो उन्हें छोड़ने आया होगा,मगर ऐसा नहीं था। दरअसल मोहम्मद जावेद त्रिलोकपुरी में जाम में फंसे थे। वहां उन्होंने दो बच्चों को नोटिस किया जो बेहद परेशान नजर आ रहे थे। जावेद ने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि उनकी दसवीं की बोर्ड परीक्षा है और सेंटर आईपी एक्सटेंशन स्थित एवीबी स्कूल है। उन्होंनें दोनों बच्चों को बैठाया और जैसे तैसे गलियों से गुजरते हुए तय समय पर स्कूल पहुंचाया। जावेद कोयले से जुड़े किसी काम में थे, जिसकी वजह से उनके कपड़े और हाथ सब काले थे मगर काम छोड़ वह उन बच्चों को स्कूल में परीक्षा दिलवाए आए।
एक युवक की हत्या के विरोध में परिजनों द्वारा लगाए गए जाम ने पूर्वी दिल्ली एक बड़े हिस्से की ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त कर दी। गाजीपुर, कल्याणपुरी, त्रिलोकपुरी, पटपड़गंज, आईपी एक्सटेंशन, विनोद नगर, मयूर विहार दोपहर तक भीषण जाम से जूझे। सबसे ज्यादा आफत दसवीं की परीक्षा देने घर से निकले बच्चों और उनके माता-पिता ने झेली।
ट्रैफिक टस से मस नहीं
एनएच 9 जाम होने की वजह से लोगों ने अपनी गाड़ियां आसपास के इलाकों की ओर मोड़ दीं, ताकि छोटे रास्तों से होते हुए बाहर निकल सकें। साढ़े आठ बजे के बाद से हालात और बिगड़ने शुरू हुए। हाईवे का सारा ट्रैफिक इलाकों की सड़कों पर पहले ही उतर चुका था और जब स्थानीय लोग दफ्तरों के लिए निकले तो जाम सोसायटियों के गेट तक पहुंच गया। आईपीएक्सटेंशन में एक बार को ऐसे स्थिति बन गई लोग सोसाइटी से अपनी गाड़ी बाहर निकालने की स्थिति में नहीं थे। सोमवार और दसवीं की परीक्षा होने के चलते सड़कों पर आम दिनों के मुकाबले ज्यादा भीड़ थी।
रोते हुई बोली बच्ची, अंकल मैं पेपर नहीं दे पाऊंगी
आईपी एक्सटेंशन में सुबह करीब 11 बजे एक छात्रा ई रिक्शा में बैठी रो रही थी। उसकी परीक्षा थी और उसे सेंटर बाल भवन में पड़ा था। बच्ची ने बिलखते हुए कहा, मेरा पेपर छूट जाएगा। जिस रास्ते पर ई रिक्शा खड़ा था वह लगभग पूरी तरह से पैक था। वहां मौजूद लोगों ने कुछ दूर तक ई-रिक्शा को जगह देकर निकलवाया मगर वह आगे जाकर फिर फंस गया। हालांकि इसी बीच एक महिला उस छात्रा की मदद को आई और उसने बच्ची को स्कूटी पर बैठा लिया।
व्यवस्था हारी, इंसानियत जीती
स्कूलों पर कई अभिभावक मौजूद थे जो दूसरों की हर संभव मदद करने को तैयार थे। वहीं स्कूल प्रशासन फोन पर लगातार यह अपडेट ले रहा था कि बच्चे कहां तक पहुंचे। जब भी यह जानकारी मिलती कि कोई बच्चा कहीं आसपास ही है तो इलाके को जानने वाले लोग तुरंत अपनी बाइक या स्कूटी लेकर उस और दौड़ जाते। आईपी एक्सटेंशन स्थित सेंट एंड्रयूज स्कूल में एक छात्रा 11 बजे तक भी नहीं पहुंच पाई थी। पता चला कि वह मैक्स पटपड़गंज अस्पताल के पास जाम में फंसी है। यह जानकारी स्कूल ने गेट पर मौजूद लोगों को दी तो वहां खड़े एडवोकेट नरेंद्र कुमार व एक अन्य शख्स तुरंत उस ओर दौड़े। नरेंद्र छात्रा को बाइक पर लेकर 11 बजकर 36 मिनट पर स्कूल पहुंच पाए। स्कूल ने छात्रा को भीतर जाने दिया।
स्कूल में परीक्षा दिलाने आया था। हम एक घंटे जाम में फंसे रहे। आखिर में मुझे कार सड़क पर ही छोड़नी पड़ी और हम पैदल स्कूल आए।
सज्जन भारद्वाज
जाम की वजह जो भी हो उसे कुछ हद तक संभाला तो जा सकता था, अगर पुलिस या ट्रैफिक पुलिस मौके पर होती तो धीरे-धीरे ही सही ट्रैफिक निकलता रहता। मुझे बाइक पर राजनगर से पटपड़गंज आने में ढाई घंटे लग गए।
सर्वेश कुमार मिंटी
हम न्यू अशोक नगर से निकले। पहले ऑटो किया फिर पैदल चले फिर ई रिक्शा किया और फिर पैदल चलकर स्कूल पहुंचे। रास्ते में कहीं ट्रैफिकवाले नहीं थे।
सुधीर पठानिया
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सुबह बहुत जाम था। बच्ची की परीक्षा थी। ऐसे में किसी भी तरह परीक्षा केंद्र पहुंचना जरूरी था। मैं फुटपाथ पर बाइक चलाकर तय समय से 15-20 मिनट की देरी से स्कूल पहुंचा हूं।शकूरपुर से मयूर विहार एक्सटेंशन तक पहुंचने पर अमूमन 15-20 मिनट लगते हैं। लेकिन, जाम के चलते एक घंटे देरी से यहां पहुंचा। ---संजय शर्मा, अभिभावक
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यह घटना मेरे गांव की है। ऐसे में आशंका थी कि जाम की समस्या हो सकती है। गांव से मुख्य सड़क तक जाम था। ऐसे में गांव के अंदर से ही छोटे-छोटे रास्तों से मुख्य सड़क तक पहुंचे।मयूर विहार एक्सटेंशन में बच्चे का परीक्षा केंद्र था। मैं जब वापस घर की ओर जाने के लिए निकला तो अक्षरधाम तक जाम था। ऐसे में पार्क में ही समय बिताया को मजबूर होना है। प्रशासन को बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए कुछ अलग व्यवस्था करनी चाहिए थी। ----अनिल कुमार, अभिभावक
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मैं आईपी एक्सटेंशन रहता हूं। 10 मिनट का सफर है, मयूर विहार एक्सटेंशन तक पहुंचने का। लेकिन, जाम इतना था की गाड़ी आगे ही बढ़ी। ऐसे में गाड़ी को आईपी एक्सटेंशन मेट्रो स्टेशन में पार्क करना पड़ा। इसके बाद मेट्रो से छात्र को परीक्षा केंद्र तक लाए हैं। हालांकि, जाम को देखते हुए घर से जल्दी निकले थे। ऐसे में साढ़े नौ बजे तक पहुंच गए थे। ----नीरज गुप्ता, अभिभावक
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मैं मंडावली से बस से परीक्षा देने आता हूं, लेकिन जाम बहुत था। बस मिली नहीं। घबराहट हो रही थी. कहीं परीक्षा न छूट जाए। लेकिन, देर हो गई थी. इसके बावजूद भी स्कूल प्रबंधन ने प्रवेश दे दिया था। ----समीर पाल, छात्र
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मैं योजना विहार से घर से तो समय से निकली थी, लेकिन मयूर विहार एक्सटेंशन तक पहुंचने के लिए कुछ देर हो गई थी। बस मन में चल रहा था कि परीक्षा न छूट जाए। इतना जाम था कि परेशान हो गई थी। इसकी वजह से दिमाग में दबाव बना था। हालांकि, परीक्षा अच्छे से दी। ----भव्या, छात्र
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मयूर विहार के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल में अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने आया हूं।मैं लक्ष्मी नगर से यहां आया हूं रास्ते में जाम का सामना करना पड़ा। सीबीएसई को भी यह ध्यान देना चाहिए कि बोर्ड परीक्षा का सेंटर बच्चों के स्कूल के आस पास हो।
सन्नी, अभिभावक
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विद्या बाल भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल मयूर विहार फेस 3 में अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने आई हूं। सुबह जब त्रिलोकपुरी से चली तो काफी दिक्कत हुई। कई बार तो बेटी डर गई कि पता नहीं समय से पहुंच पाऊंगी कि नहीं। थोड़ी देर हो गई लेकिन स्कूल ने हमें प्रवेश दे दिया।
चंचल, अभिभावक
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मैं मयूर विहार फेस वन से विद्या बाल भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल मयूर विहार फेस 3 परीक्षा देने आई थी। एक बार तो मुझे लगा कि मैं पहुंच ही नहीं पाऊंगी। डर गई थी। साढ़े दस बजे से ठीक पहले मैं स्कूल में पहुंची हूं। मुझे डर लग रहा था कि स्कूल हमें प्रवेश नहीं देगा लेकिन स्कूल प्रशासन ने काफी सहयोग किया।
भूमिका भारती, छात्रा
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जाम की स्थिति को देखकर थोड़ा घबरा गई थी परीक्षा के लिए पहले से ही देरी हो रही थी । ऐसे में थोडा असहज महसूस हुआ पर अंततः मैं समय पर परीक्षा केंद्र तक पहुंच गई।
-रक्षिता शर्मा छात्रा
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गाज़ीपुर गांव का निवासी हूं। सुबह समय से निकल गया था, हादसा हमारे गाँव का ही है पहले से ही जाम लगने की आशंका थी तो समय से बच्चे को लेकर परीक्षा दिलवाने के लिए निकल गया। परंतु बच्चे को स्कूल छोड़ कर वापस जाते हुए रास्ते में भारी जाम दिखा तो ऐसे में वापस लौट कर मैंने स्कूल के पास पार्क में ही बच्चे का इंतजार किया।
सोनू, अभिभावक
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मैं जब घर से निकला तो स्कूल पहुंचने में काफी वक्त लग गया। मैं जाम में फंसा रहा। उसके बाद मैंने पुलिस को सुबह लगभग 9 बजे फोन किया। उसके बाद भी कॉल किया। लेकिन जाम बड़ी मुश्किल से खुला। मुझे यह लग रहा था कि जब मैं समय से पहले चलकर जाम में हूं तो बच्चों का क्या हाल होगा। लेकिन हमारे यहां जाम के कारण किसी परीक्षा नहीं छूटी।
डा.सतवीर शर्मा, प्रिंसिपल विद्या बाल भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल मयूर विहार फेस 3
इनपुट--अभिनव उपाध्याय, तोयज सिंह, आशीष सिंह, शिवम दुबे
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