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अपडेट ब्यूरो : महिलाओं को रात में काम करने से रोका नहीं जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को रात में काम करने से रोका नहीं जा सकता। पश्चिम बंगाल सरकार की अधिसूचना पर सवाल उठाते हुए, अदालत ने कहा कि महिलाएं हर परिस्थिति में काम करने के लिए तैयार हैं। सरकार ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 17 Sep 2024 03:07 PM
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शब्द : 1520 - कहा, वे हर परिस्थिति में काम करने के लिए तैयार

- बंगाल सरकार ने कहा, अधिसूचना में बदलाव करेंगे

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि महिलाओं को रात में काम करने से रोका नहीं जा सकता। अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार की उस अधिसूचना पर सवाल करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट और 12 घंटे से अधिक काम करने पर रोक लगाई गई है। शीर्ष कोर्ट के कड़े रुख के बाद राज्य सरकार ने कहा कि वह अपनी अधिसूचना में बदलाव करेगी।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि महिलाओं ‌की सुरक्षा बढ़ाने की बजाय, राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों को रात में काम नहीं करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि इस तरह की सीमाएं क्यों लगाई जा रही हैं? उन्होंने कहा कि महिलाएं किसी तरह की रियायत नहीं मांग कर रही हैं, वे (महिलाएं) हर समय यानी दिन या रात, किसी भी परिस्थिति में काम करने को तैयार हैं।

पाबंदी की बजाय सुरक्षा मुहैया कराएं :

पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल ने राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना की जानकारी दी। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों को सुरक्षा दे। पायलट, सेना, पुलिस सहित कई महकमों में महिलाएं रात में काम करती हैं। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि अनुज गर्ग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें महिलाओं को शराब की दुकानों में काम करने से रोक लगाई गई थी। पीठ ने कहा कि अनुज गर्ग मामले में यह फैसला दिया गया था कि सुरक्षा की आड़ में महिलाओं की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।

कामकाज के घंटे सभी के लिए उचित हों :

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां तक महिला डॉक्टरों के कामकाज के घंटे सीमित किए जाने का सवाल है तो सभी डॉक्टरों (महिला और पुरुष) के लिए ड्यूटी के घंटे उचित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरुष डॉक्टरों की तुलना में महिला डॉक्टरों को निशाना बनाना अनुचित होगा। हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने कहा कि राज्य सरकार अधिसूचना पर पुनर्विचार करेगी। साथ ही कहा कि यह अस्थायी है और हाल ही में उठाए गए सुरक्षा उपायों का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में दुष्कर्म के बाद प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की हत्या के बाद देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल के बाद स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किए गए मामले की सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित की है।

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अंदर देश पेज के लिए....

सीबीआई की रिपोर्ट में जो खुलासे हुए, वो परेशान करने वाले : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरजी कर अस्पताल मामले की जांच कर रही सीबीआई की रिपोर्ट में कुछ ऐसे तथ्यों के खुलासे हुए हैं जो ‘परेशान करने वाले हैं। शीर्ष अदालत ने सीबीआई की ओर से सीलबंद लिफाफे में पेश मामले की जांच रिपोर्ट को देखने के बाद यह टिप्पणी की।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने हालांकि, सीबीआई की ओर से पेश स्थिति रिपोर्ट के तथ्यों का खुलासा करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, इससे जांच प्रभावित हो सकती है। यह टिप्पणी करते हुए पीठ ने जांच की समय-सीमा तय करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘सीबीआई नींद में सो नहीं रही है बल्कि मामले की जांच कर रही है। सचाई का पता लगाने के लिए सीबीआई को पर्याप्त समय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मामले में आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिनों की अवधि है और अभी समय बचा है। इसलिए जांच की समय सीमा तय करना उचित नहीं हो सकता। उन्होंने सीबीआई के डीआईजी सत्यवीर सिंह द्वारा पेश स्थिति रिपोर्ट पर विचार करने के बाद यह टिप्पणी की।

...तो जांच प्रक्रिया प्रभावित होगी :

शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई मामले की जांच कर रही है, इसके किसी भी तथ्य को सार्वजनिक करने से जांच प्रक्रिया प्रभावित होगी। पीठ ने कहा, सीबीआई ने जांच का जो तरीका अपनाया, वह सच्चाई को उजागर करना है, संबंधित ‌थाना प्रभारी को गिरफ्तार किया गया और हमने (अदालत) ने जो सवाल उठाए, उस बारे में भी जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में जवाब दिया है। पीठ ने कहा कि सीबीआई उन पहलुओं की भी जांच कर रही है कि क्या वैधानिक रूप में चालान पोस्टमार्टम के साथ पेश किया गया था। क्या अपराध स्थल पर साक्ष्य नष्ट किए गए और अपराध की सूचना देने में देरी के लिए अन्य लोगों की मिलीभगत है। इससे पहले, मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर कोलकाता उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति की ओर अधिवक्ता फिरोज एडुल्जी ने एक बार फिर से पीठ के समक्ष जब्ती सूची और स्केच मैप में विसंगतियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजते समय पीड़िता के कपड़े नहीं भेजे गए जो गंभीर विसंगतियों को उजागर करता है।

इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई ने रिपोर्ट में जो कुछ भी कहा है कि वह और भी बुरा है, वास्तव में परेशान करने वाला है..आप जो बता रहे हैं, वह अत्यंत चिंताजनक है, हम खुद चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि हमने सीबीआई की रिपोर्ट पढ़ी है, उसे देखकर हम खुद परेशान हैं।

सीबीआई को सात से आठ घंटे की फुटेज सौंपी :

वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने अदालत को बताया कि सात से आठ घंटे के सीसीटीवी फुटेज सीबीआई को दी गई हैं। इससे पहले, सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई को पूरी फुटेज नहीं मिली है। इस पर पीठ ने कहा कि क्या सीबीआई अधिकारी कोलकाता पुलिस को बुलाकर फुटेज नहीं ले सकते? यह सुनिश्चित करें कि सीबीआई पूरी डीवीआर और फुटेज जब्त करे। राज्य सरकार ने कहा कि पुलिस ने कुल 32 जीबी की फुटेज उपलब्ध कराई हैं।

पीड़िता के पिता की चिंताओं पर विचार करें :

शीर्ष अदालत ने सीबीआई को पीड़ित डॉक्टर के पिता द्वारा उठाई गई कुछ चिंताओं पर विचार करने को कहा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिया कि उन पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीबीआई पहले से ही इसमें उठाई गई कई चिंताओं पर विचार कर रही है। साथ ही भरोसा दिया कि सीबीआई मृतक के माता-पिता से संपर्क बनाए रखेगी और उन्हें सूचित करती रहेगी। इस बीच, जूनियर डॉक्टरों के संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने शीर्ष अदालत से कहा कि उनके पास अपराध स्थल पर अन्य लोगों की मौजूदगी का संकेत देने वाली जानकारी है। उन्होंने इस बारे में सीबीआई को जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में सॉलिसिटर जनरल मेहता को देने पर सहमति जताई।

मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगने पर याचिकाकर्ता को फटकार :

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगने के लिए दाखिल याचिका पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है।

डॉक्टरों को आज शाम तक काम पर लौटने का निर्देश :

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों को तुरंत काम पर लौटने को कहा। शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों से कहा कि यदि वे बुधवार शाम पांच बजे तक काम पर लौट आते हैं, तो उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। पिछली सुनवाई पर भी पीठ से डॉक्टरों से काम पर लौटने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी डॉक्टर काम पर नहीं लौटे हैं।

सुनवाई का सीधा प्रसारण रोकने से इनकार :

अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने मामले की सुनवाई का सीधा प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की थी। सिब्बल ने कहा कि इसके जरिए उनकी छवि को खराब किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 50 साल के करियर में जो उन्होंने जो प्रतिष्ठा कमाई, उसे धूमिल किया जा रहा है। ऐसा पेश किया जा रहा है कि मैं राज्य सरकार को नहीं, गुनहगार को बचा रहा हूं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वकीलों को ऑनलाइन धमकियों से बचाया जाएगा।

विकीपीडिया से नाम, तस्वीर हटाने का आदेश :

सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि विकिपीडिया अब भी मृतका का नाम और तस्वीर दिखा रहा है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने विकिपीडिया को मृतका का नाम एवं तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, मृतका की गरिमा और निजता बनाए रखने के लिए, शासकीय सिद्धांत यह है कि दुष्कर्म और हत्या के मामले में मृतका की पहचान का खुलासा नहीं किया जाता। विकिपीडिया पहले दिए आदेश के अनुपालन के लिए कदम उठाए।

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