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डीपी1... महिला चिकित्सकों को रात में काम करने से नहीं रोक सकते : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला डॉक्टरों को रात की पाली में काम करने से मना नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के 'रात्रियर साथी' कार्यक्रम की आलोचना की, जिसमें महिला चिकित्सकों के लिए रात...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 17 Sep 2024 11:47 AM
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शब्द : 910 - शीर्ष अदालत ने कहा, सरकार की जिम्मेदारी सुरक्षा देना

- 12 घंटे से कम कामकाजी घंटों के फैसले पर भी सवाल किए

नई दिल्ली, एजेंसी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि महिला डॉक्टरों को रात की पाली में काम करने से मना नहीं किया जा सकता। अदालत ने आरजी कर अस्पताल मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के 'रात्रियर साथी' कार्यक्रम पर आपत्ति जताई। इसमें महिला चिकित्सकों की रात की ड्यूटी (नाइट शिफ्ट) लगाने से बचने और महिला चिकित्सकों के कामकाजी घंटे (एक वक्त में) 12 घंटे से ज्यादा न होने का प्रावधान है। पीठ ने सख्त लहजे में कहा, सरकार का कर्तव्य सुरक्षा देना है, आप यह नहीं कह सकते कि महिला चिकित्सक रात में काम नहीं कर सकतीं। उन्हें कोई रियायत नहीं चाहिए। पायलट, सेना आदि सभी क्षेत्रों में कर्मी रात में काम करते हैं। इससे उनके (चिकित्सकों के) करियर पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सभी चिकित्सकों के लिए ड्यूटी के घंटे उचित होने चाहिए। कोर्ट की सख्ती टिप्पणी के बाद पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बंगाल सरकार की ओर से कहा कि सरकार अपना आदेश वापस ले लेगी। उन्होंने पीठ को बताया कि यह फैसला हाल के घटनाक्रम को देखते हुए अस्थायी तौर पर लिया गया है।

सरकारी अस्पतालों में पुलिसकर्मी तैनात हों :

पीठ ने अस्पतालों में चिकित्सकों और अन्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठेके पर कर्मचारियों की भर्ती करने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाया। पीठ ने कहा, हम ऐसी स्थिति में हैं जहां चिकित्सकों के लिए सुरक्षा का अभाव है। राज्य सरकार को कम से कम सरकारी अस्पतालों में पुलिस को तैनात करना चाहिए। हमारे सामने युवा प्रशिक्षु और छात्राओं का मसला है जो काम के लिए कोलकाता आ रही हैं।

डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होगी :

सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट को यह भी आश्वासन दिया कि आंदोलनकारी चिकित्सकों के खिलाफ कोई दंडात्मक या प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। इससे पहले जूनियर चिकित्सकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अदालत से अनुरोध किया था कि चिकित्सकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जूनियर चिकित्सक उन लोगों को जानते हैं जो अपराध स्थल पर मौजूद थे और यह सूचना सीलबंद लिफाफे में सीबीआई के साथ साझा की जाए।

विकीपीडिया से नाम, तस्वीर हटाने का आदेश :

सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि विकिपीडिया अब भी मृतका का नाम और तस्वीर दिखा रहा है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने विकिपीडिया को मृतका का नाम एवं तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, मृतका की गरिमा और निजता बनाए रखने के लिए, शासकीय सिद्धांत यह है कि दुष्कर्म और हत्या के मामले में मृतका की पहचान का खुलासा नहीं किया जाता। विकिपीडिया पहले दिए आदेश के अनुपालन के लिए कदम उठाए।

सुनवाई के सीधे प्रसारण पर रोक नहीं :

घटना से संबंधित स्वत: सज्ञान मामले में सुनवाई के सीधे प्रसारण पर रोक लगाने से इनकार करते हुए न्यायालय ने कहा कि यह जनहित का मामला है और जनता को पता होना चाहिए कि अदालत कक्ष में क्या हो रहा है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीधे प्रसारण पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने दावा किया कि चैम्बर की महिला वकीलों को तेजाब हमले और दुष्कर्म की धमकियां मिल रही हैं। सिब्बल ने कहा, जो कुछ हो रहा है, उसकी मुझे बहुत फिक्र है। जब आप इस तरह के मामले का सीधा प्रसारण करते हैं तो इनका बहुत ज्यादा भावनात्मक असर होता है। हम आरोपियों की पैरवी नहीं कर रहे हैं। हम राज्य सरकार की ओर से पेश हुए हैं और जैसे ही अदालत कोई टिप्पणी करती है तो हमारी साख रातोंरात बर्बाद हो जाती है। हमारी 50 वर्षों की साख है। न्यायालय ने सिब्बल को आश्वस्त किया कि अगर वकीलों और अन्य लोगों को कोई खतरा होगा तो वह कदम उठाएगा।

सीबीआई से वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर रिपोर्ट मांगी :

कोर्ट ने सीबीआई को आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर वस्तुस्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। शीर्ष न्यायालय ने दुष्कर्म तथा हत्या की घटना के संबंध में सीबीआई द्वारा दाखिल रिपोर्ट पर भी गौर किया और कहा कि स्थिति का खुलासा करने से आगे की जांच खतरे में पड़ जाएगी। पीठ ने कहा, मृतका के पिता ने कुछ सुरागों को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं जिनकी जांच की जानी चाहिए। हम उन्हें सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं, हम कहेंगे कि ये महत्वपूर्ण सूचनाएं हैं और सीबीआई को इन पर विचार करना चाहिए।

मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगने से जुड़ी याचिका खारिज :

न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें आरजी कर अस्पताल की घटना के मद्देनजर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे मांगे जाने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि न्यायालय के पास ऐसा आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है। साथ ही कहा, यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है। आप बार के सदस्य हैं। हम जो कहते हैं, उसके लिए हमें आपकी पुष्टि की आवश्यकता नहीं है। आप जो कहते हैं, वह कानूनी अनुशासन के नियमों के अनुसार होना चाहिए। पीठ ने कहा, हम यहां यह देखने के लिए नहीं बैठे हैं कि आप किसी राजनीतिक पदाधिकारी के बारे में क्या सोचते हैं। हम चिकित्सकों की विशिष्ट शिकायतों के मामले से निपट रहे हैं।

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