Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीRaksha Bandhan 2023 Bhadra s Influence Delays Auspicious Time for Tying Rakhi Till Afternoon

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मेरठ: इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार, 19 अगस्त को भद्रा के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:30 बजे के बाद से रहेगा। भद्रा को क्रूर और अशुभ माना जाता है, इसलिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 18 Aug 2024 05:58 PM
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मेरठ। रक्षाबंधन पर इस बार भी भद्रा का साया है। भद्रा के कारण सोमवार को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.30 बजे के बाद से है। ज्योतिषियों की राय में शुभ कार्यों में भद्रा का ध्यान रखना चाहिए। रक्षाबंधन का पर्व सनातन संस्कृति के पांच प्रमुख पर्वों में से एक है।

भद्रा ने समय बढ़ाया

पिछले तीन साल से भद्रा के कारण रक्षाबंधन का पर्व प्रभावित हो रहा है। पिछले साल भी 30 और 31 अगस्त का भ्रम पैदा हो गया था। इस बार रात्रिकालीन भद्रा के कारण बहनों को दोपहर तक राखी बांधने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। 19 अगस्त को सूर्योदय से पहले ही यानी रात्रि 3.04 बजे से भद्रा लग जाएगी जो दोपहर 1.29 बजे तक रहेगी। इसके बाद ही रक्षाबंधन का पर्व होगा।

भद्रा में नहीं बंधती राखी

धार्मिक आधार पर यदि भद्रा का साया हो तो राखी नहीं बांधी जाती। भद्रा को क्रूर और आसुरी प्रवृत्ति माना गया है। इसलिए उसका शुभ गणना में परहेज किया जाता है। ज्योतिषियों की राय में राखी का सीधा संबंध सूर्य और मंगल से है। मान्यता है कि संध्याकाल के बाद राखी नहीं बांधनी चाहिए। विषम परिस्थितियां अपवाद हैं। इसलिए 19 अगस्त को सायं 6.25 बजे तक राखी बांध लेनी चाहिए। विषम परिस्थिति में रात्रि 12.25 बजे तक का समय है।

तीन शुभ संयोग बन रहे

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रक्षाबंधन पर तीन शुभ योग भी बन रहे हैं। शोभन योग पूरे दिन रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सवेरे 5.53 बजे से प्रात: 8.10 बजे तक रहेगा। इसी दिन रवि योग का भी संयोग रहेगा।

रक्षाबंधन पर्व - 19 अगस्त (सोमवार)

पूर्णिमा तिथि उपस्थित - 19 अगस्त प्रातः 3:04 से रात्रि 11:55 बजे तक

19 अगस्त को भद्रा - प्रातः 3:04 से दोपहर 1:29 बजे तक

राखी बांधने के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त - दोपहर 1:30 से शाम 6.26 बजे तक

सावन पूर्णिमा पर भी सोमवार

इस बार श्रावण मास में पांच सोमवार का शुभ योग रहा है। श्रावण मास का प्रारंभ भी सोमवार को हुआ था और 19 अगस्त को भी सोमवार पड़ रहा है। भगवान शंकर की आराधना के साथ सावन मास का समापन हो जाएगा। सावन सोमवार का व्रत और पूर्णमासी की कथा यथावत रहेगी।

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