Oil Prices Hit 47-Month Low Yet Central Excise Duty on Petrol and Diesel Increased by Rs 2 केंद्र राज्यों से राजस्व का उचित हिस्सा छीन रहा: खरगे, Delhi Hindi News - Hindustan
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केंद्र राज्यों से राजस्व का उचित हिस्सा छीन रहा: खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्यों का राजस्व छीन रही है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 47 महीने के निचले स्तर पर गिरने के...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 22 April 2025 07:07 PM
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केंद्र राज्यों से राजस्व का उचित हिस्सा छीन रहा: खरगे

- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 47 महीने के निचले स्तर पर - फिर भी पेट्रोल-डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में दो रुपये की वृद्धि कर दी

नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्यों से राजस्व का उचित हिस्सा छीन रही है। उसके सहकारी संघवाद का मतलब संघवाद की समाप्ति है।

खरगे ने पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क और उपकर से होने वाली आय और कुछ अन्य अधिभारों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। खरगे ने ‘एक्स पर पोस्ट किया, मोदी सरकार का ‘सहकारी संघवाद का मतलब संघवाद की समाप्ति है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 47 महीने के निचले स्तर पर गिरने के बावजूद केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में दो रुपये की बढ़ोतरी की।

कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार, इस साल मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल पर कुल उपकर से 1.47 लाख करोड़ रुपये और अकेले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में दो रुपये बढ़ाने से 28,000 करोड़ रुपये की कमाई करेगी। उन्होंने कहा, इसके बावजूद, भाजपा शासित राज्यों और दूसरे राज्यों को इस उपकर से एक पैसा भी नहीं मिलेगा, भले ही राज्य लगातार केंद्र सरकार से अधिक हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, 2014 से दिसंबर, 2024 तक मोदी सरकार ने पेट्रोल, डीजल और पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स लगाकर 38.89 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं।

खरगे ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने बजट 2025-26 में घोषित 12 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय में आयकर छूट देने के कारण पड़े एक लाख करोड़ के राजस्व के बोझ से भी पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने कहा, चौंकाने वाली बात यह है कि 2019-20 से विभिन्न उपकरों और अधिभारों के माध्यम से एकत्र किए गए 5.7 लाख करोड़ रुपये (मार्च 2026 तक) खर्च नहीं किए जाएंगे। इसे आसानी से राज्यों को दिया जा सकता था, लेकिन मोदी सरकार राज्यों का वाजिब हिस्सा छीनने में व्यस्त है।

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