नालों की सफाई के लिए इसरो की मदद लेगी सरकार
- मानसून के बाद दिल्ली के 22 बड़े नालों का होगा सर्वे, विभाग ने वर्ष 2024-25 के लिए 275 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान की मांग की
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली में जलभराव रोकने के लिए यमुना में गिरने वाले 22 बड़े नालों की सफाई का खाका तैयार कर लिया गया है। यह काम 15 अक्टूबर को मानसून खत्म होने की घोषणा के बाद शुरू होगा। गाद की स्थिति को लेकर एक सर्वे किया जाएगा। इस दौरान नालों की मैपिंग के लिए इसरो के उच्च गुणवत्ता वाला सेटेलाइट छायाचित्र में मदद करेगा। दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के अंतर्गत आने वाले इंटीग्रेटेड ड्रेन मैनेजमेंट सेल (आईडीएमसी) की बीते दिनों हुई बैठक में यह फैसला किया गया है। नालों की सफाई में समन्वय की कमी ना आएं, इसलिए दिल्ली के सभी 22 बड़े नालों की सफाई की जिम्मेदारी सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को दी है। विभाग ने बताया कि हमने आकलन किया है कि दिल्ली के बड़े नालों में 115 घनमीटर गाद है। मानसून में कुल 16.4 फीसदी गाद ही निकाली गई है। बाकी बची गाद निकालने के लिए ज्यादा बजट की जरूरत है। इसके लिए प्रारंभिक अनुमानित खर्च 404.60 करोड़ रुपये आका है। विभाग ने वित्त विभाग से वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 274.98 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान की मांग की है। अधिकारियों ने बताया कि सर्वे के बाद नालों की पूरी तरह से डीसिल्टिंग में 3-4 साल का समय लगेगा।
सीमा विवाद को जल्द सुलझाएं विभाग
बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि नालों की सफाई के लिए पूरी योजना बनाने के साथ उसमें आने वाले वार्षिक खर्च का ठीक से आकलन करके बनाया जाए। इसके अलावा उन्होंने अन्य विभाग पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, डीडीए और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को निर्देश दिया कि गाद की मात्रा की भी जांच की जाए, जिससे पता चले कि कितनी गाद निकाली गई है। दिल्ली के दो नाले खैबर पास और सोनिया विहार में एमसीडी-सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के बीच चल रहे विवाद को खत्म करने के लिए दोनों विभागों के अधिकारियों को साथ बैठकर निपटारे करने का निर्देश दिया है, ताकि समय पर गाद निकासी का काम किया जा सके। सीमा विवाद के चलते उसमें देरी ना हो।
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