जेएनयू चुनाव: वाम और प्रगतिशील एकता को मजबूत होना जरूरी: एसएफआई
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता जेएनयूएसयू चुनाव परिणाम में एबीवीपी की एक पद पर

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता जेएनयूएसयू चुनाव परिणाम में एबीवीपी की एक पद पर जीत और बाकी पदों पर दूसरे नंबर रहने को एसएफआई ने जेएनयू के प्रगतिशील और वामपंथी ताकतों के विखंडन का कारण माना है।
एसएफआई की प्रदेश सचिव और जेएनयू की पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष ने बयान जारी कर कहा है कि जेएनयू के दो सबसे बड़े प्रगतिशील छात्र संगठनों, एसएफआई और आइसा का अलग-अलग पैनल से चुनाव लड़ना वोटों के विभाजन का कारण बना, जिससे केंद्रीय पैनल में जीत का अंतर कम हुआ। एसएफआई ने चार काउंसलर पद जीते हैं और इससे वामपंथी और प्रगतिशील ताकतों को छात्रों से समर्थन मिला है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि एबीवीपी अपनी वोट शेयर में पिछले चुनावों के मुकाबले कोई वृद्धि नहीं कर पाई। यह साफ तौर पर एक एकजुट संघर्ष के निर्माण में विफलता को दर्शाता है, जो एबीवीपी की जीत का कारण बना। हम आशा करते हैं कि प्रगतिशील और वामपंथी ताकतें इन चुनावों से जरूरी सीख लेंगी और परिषद के भीतर और बाहर मजबूत एकता बनाएंगी, ताकि शिक्षा के क्षेत्र में एनईपी, निजीकरण, केंद्रीकरण और सांप्रदायिकीकरण के खिलाफ छात्रों के प्रतिरोध का नेतृत्व किया जा सके।
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