कब्रिस्तान में अवैध निर्माण का आरोप, हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
एक याचिका में राष्ट्रीय राजधानी के ईदगाह रोड पर स्थित कब्रिस्तान में कथित अवैध निर्माण का आरोप लगाया गया है। इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड, दिल्ली सरकार, एमसीडी और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के ईदगाह रोड पर स्थित कब्रिस्तान में कथित अवैध निर्माण के मसले पर दिल्ली वक्फ बोर्ड पर चुप्पी साधने का आरोप लगाने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार और बोर्ड से जवाब मांगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिका पर दिल्ली सरकार, दिल्ली वक्फ बोर्ड के साथ एमसीडी और दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता मोहम्मद मजहर अहमद की याचिका पर अदालत ने अधिकारियों से 4 हफ्ते के भीतर अपने जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 नवंबर की तारीख दी है। इसके साथ ही अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए। अदालत ने साफ किया कि संपत्ति पर किया जाने वाला कोई भी निर्माण अदालत के अगले आदेशों के अधीन होगा तब तक यथास्थिति कायम रखी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता मोहम्मद मजहर अहमद ने याचिका में दावा किया है कि ईदगाह रोड पर स्थित कब्रिस्तान अहाता बदरुद्दीन एक अधिसूचित वक्फ संपत्ति है। इस संपत्ति को धोखाधड़ी के जरिये बोर्ड से अलग कर दिया गया है। नतीजतन इस पर अनधिकृत निर्माण हुआ है। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि परिसर में कब्रों को अपवित्र किया गया है। यह अवैध निर्माण वक्फ अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता मोहम्मद मजहर अहमद ने याचिका में दलील दी है कि वक्फ बोर्ड एक्ट के प्रावधान वक्फ संपत्तियों के किसी भी प्रकार के अलगाव पर पूरी तरह से रोक लगाते हैं। ऐसे में कब्रिस्तान की जमीन को बोर्ड से अलग करने के संबंध में प्रतिवादियों की चुप्पी उचित नहीं है। यह डेवलपमेट ऐसे वक्त में सामने आया है जब वक्फ (संशोधन) विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। इस मसले पर सियासत भी गर्म है।
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