'ऐसे तो खत्म हो जाएगा जनता का विश्वास', वकीलों की हड़ताल पर क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट
- अदालत ने कहा, ‘आम आदमी, गरीब… अदालत में आता है। अचानक पाता है कि मेरे गवाह से पूछताछ नहीं की जा सकती, मुझे राहत नहीं मिल सकती… क्योंकि बार काम पर नहीं होती।’
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में वकीलों के बार-बार काम रोकने की सोमवार को निंदा की। साथ ही, इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने व निरंतर कामकाज सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी तंत्र बनाने की अपील की। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ फैजाबाद बार एसोसिएशन की अपील पर सुनवाई की। साथ ही, इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की।
अदालत ने कहा, 'आम आदमी, गरीब… अदालत में आता। अचानक पाता है कि मेरे गवाह से पूछताछ नहीं की जा सकती, मुझे राहत नहीं मिल सकती… क्योंकि बार काम पर नहीं होती। इस तरह की संस्कृति तुरंत बंद होनी चाहिए।' बेंच ने न्यायिक कार्य को प्रभावित किए बिना वादियों की शिकायतों का तुरंत समाधान करने के लिए एक प्रणाली बनाने का आग्रह किया।
'शिकायतों का समय पर हो समाधान'
पीठ ने कहा, 'हम प्रभावी तंत्र चाहते हैं जहां उनकी शिकायतों का समय पर समाधान किया जाए। साथ ही, न्यायिक कार्य एक घंटे के लिए भी प्रभावित नहीं होना चाहिए।' हाई कोर्ट ने एसोसिएशन के संचालन का प्रबंधन करने और दिसंबर, 2024 तक इसके शासकीय परिषद के चुनाव आयोजित करने के लिए समिति के गठन का निर्देश दिया था। अदालत ने स्थिर और विश्वसनीय कानूनी प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, चेतावनी दी कि इस तरह की रुकावटों से जनता का विश्वास खत्म हो जाता है। खासकर आर्थिक रूप से वंचित नागरिकों का, जो समय पर कानूनी राहत मिलने की उम्मीद रखते हैं।
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि अदालत के अधिवक्ता मंगलवार को काम पर लौट रह हैं। गाजियाबाद में 29 अक्टूबर को अधिवक्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। इसके विरोध में बार एसोसिएशन के आह्वान पर अधिवक्ता सोमवार को न्यायिक कार्य से दूर रहे, जिस कारण उच्च न्यायालय में कामकाज ठप रहा। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी और सचिव विक्रांत पांडेय के नेतृत्व में अधिवक्ता उच्च न्यायालय की गेट संख्या 3 पर एकत्रित हुए और पुलिस का पुतला फूंका।