काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ें सारे मुसलमान, वक्फ बिल के खिलाफ पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील
- मुस्लिमों की बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रमजान के आखिरी जुमे की नमाज में काली पट्टी बांधने की अपील की है। बोर्ड की ओर से देश के सारे मुसलमानों से कहा है कि वे वक्फ बिल के विरोध में काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ें। ऐसा इस बिल के विरोध के लिए किया जा रहा है।

मुस्लिमों की बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रमजान के आखिरी जुमे की नमाज में काली पट्टी बांधने की अपील की है। बोर्ड की ओर से देश के सारे मुसलमानों से कहा है कि वे वक्फ बिल के विरोध में काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ें। ऐसा इस बिल के विरोध के लिए किया जा रहा है। इस संबंध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक वीडियो जारी किया है तो वहीं ट्वीट करके भी ऐसा करने के लिए कहा है। पिछले दिनों दिल्ली में भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर वक्फ बिल के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था।
पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े कई मौलवियों ने अपील की है कि अलविदा नमाज में जाएं तो दाईं बांह पर काली पट्टी बांधकर रखें। नमाज के दौरान काली पट्टी बंधी हुई तस्वीरें भी खिंचवाएं और उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल करें। इससे पहले इस बिल के खिलाफ आम मुसलमानों से राय दर्ज कराने का अभियान भी छेड़ा गया था। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की ओर से एक लेटर भी इस संबंध में जारी हुआ है। उन्होंने कहा कि जंतर-मंतर और पटना में हुए मुसलमानों के जोरदार धरने से भाजपा की सहयोगी पार्टियों में हलचल मच गई है। अब 29 मार्च को विजयवाड़ा में भी एक बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी है।
उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल एक गहरी साजिश है। इसका साफ उद्देश्य यह है कि मुसलमानों को उनकी मस्जिदों, ईदगाहों, मदरसों, दरगाहों, कब्रिस्तानों और अन्य धार्मिक एवें सामाजिक संस्थानों से बेदखल कर दिया जाए। अगर यह बिल पारित हो गया तो सैकड़ों मस्जिदें, ईदगाहें, मदरसे, कब्रिस्तान और अन्य चैरिटी संस्थाएं हमारे हाथ से निकल जाएंगी। इसलिए देश के हर मुसलमान की यह जिम्मेदारी है कि वह इस बिल का पुरजोर विरोध करे। देश के तमाम मुसलमानों से बोर्ड अपील करता है कि वे जुमा-तुल-विदा के दिन अपने हाथ पर काली पट्टी बांधकर मस्जिद आएं और अपने दुख एवं आक्रोश का शांतिपूर्ण मौन रखकर प्रदर्शन करें।
बता दें कि वक्फ बोर्ड पर बिल लाने की तैयारी है। फिलहाल इस पर संसदीय समिति में विचार चल रहा है। सरकार का कहना है कि इससे मुस्लिमों के हित सधेंगे और वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे भी खत्म होंगे। वहीं मुस्लिम समुदाय के तमाम लोग मानते हैं कि ऐसा करके उनके मजहबी मामलों में सरकार दखल दे रही है।
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