Hindi Newsदेश न्यूज़This is a violation of court orders what made the Supreme Court angry with the Assam government

अदालत के आदेशों का उल्लंघन है, असम सरकार पर किस बात पर भड़का सुप्रीम कोर्ट

  • राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किए जाने के बाद ही लोगों को हिरासत में लिया गया। शीर्ष अदालत ने जानना चाहा कि निर्वासन प्रक्रिया शुरू किए बिना ही हिरासत क्यों जारी है।

Nisarg Dixit भाषाThu, 23 Jan 2025 07:25 AM
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अदालत के आदेशों का उल्लंघन है, असम सरकार पर किस बात पर भड़का सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम सरकार के मटिया ट्रांजिट कैंप में 270 विदेशियों को हिरासत में रखने के कारणों का जवाब न देने के लिए नाखुशी जताई। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस नोंग्मीकापम कोटिश्वर सिंह की पीठ ने असम के मुख्य सचिव को सुनवाई की अगली तारीख पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने 9 दिसंबर को राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था और उम्मीद है कि वह ट्रांजिट कैंप में 270 विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखने के कारणों के अलावा उनके निर्वासन के लिए उठाए गए कदमों का विवरण भी देगी।

पीठ ने कहा, 'हलफनामे में हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं बताया गया है... निर्वासन के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख नहीं किया गया है। यह इस अदालत के आदेशों का घोर उल्लंघन है। हम मुख्य सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थित रहने और अनुपालन नहीं होने के बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश देते हैं।'

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किए जाने के बाद ही लोगों को हिरासत में लिया गया। शीर्ष अदालत ने जानना चाहा कि निर्वासन प्रक्रिया शुरू किए बिना ही हिरासत क्यों जारी है। असम सरकार के वकील ने कहा कि हलफनामा गोपनीय है और इसे सीलबंद ही रहना चाहिए। इस पर अदालत ने अप्रसन्नता जताई।

पीठ ने पूछा, 'इससे पता चलता है कि राज्य सरकार साफ-साफ नहीं बताना चाहती। हमें बताएं कि हलफनामे में क्या गोपनीय है?' वकील ने कहा कि हलफनामे में विदेशियों के पते हैं और विवरण मीडिया को जा सकता था।

पीठ ने कहा, 'असम के वकील ने कहा है कि दायर हलफनामे को सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए, क्योंकि इसकी सामग्री गोपनीय है। हालांकि हम निर्देश दे रहे हैं कि इसे सीलबंद लिफाफे में रखा जाए, लेकिन प्रथम दृष्टया हम वकील की इस बात से असहमत हैं कि सामग्री के बारे में कुछ गोपनीय है।'

शीर्ष अदालत ने असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया था कि वह विदेशियों के लिए मटिया ट्रांजिट शिविर में औचक निरीक्षण करे और सुविधा की स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता की जांच करे। पीठ असम में विदेशी घोषित व्यक्तियों के निर्वासन और हिरासत केंद्रों में सुविधाओं से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पिछले साल 16 मई को मामले की सुनवाई करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि केंद्र को मटिया के हिरासत केंद्र में 17 विदेशियों को निर्वासित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। इसने कहा कि चार लोगों को निर्वासित करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन्होंने हिरासत केंद्र में दो साल से अधिक समय बिताया है।

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