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इजरायल को हथियार निर्यात रुकवाइए मीलॉर्ड ! पूर्व नौकरशाहों-राजनयिकों की PIL के जरिए SC से गुहार

याचिका में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम सहित कई कंपनियों द्वारा इजरायल को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति, संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है।

Pramod Praveen हिन्दुस्तान टाइम्स, अब्राहम थॉमस, नई दिल्लीWed, 4 Sep 2024 04:20 PM
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देश के नामी पूर्व नौकरशाहों-राजनयिकों और शिक्षाविदों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कोर्ट से केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की गुहार लगाई है कि वह इजरायल को हथियार और अन्य सैन्य उपकरण निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द करे और नए लाइसेंस नहीं दे। इसके साथ ही यह भी मांग की गई है कि गाजा युद्ध के लिए सप्लाय किए जा रहे युद्ध सामग्रियों के निर्यात पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया जाय। 11 लोगों द्वारा दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि भारत को गाजा में युद्ध के लिए इजरायल को सैन्य सहायता तुरंत निलंबित कर देनी चाहिए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सैन्य हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति नरसंहार सम्मेलन का उल्लंघन है।

यह जनहित याचिका 11 लोगों ने दायर की है जिसमें नोएडा निवासी अशोक कुमार शर्मा भी शामिल हैं। वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से ये अर्जी दायर की गई है। इसमें रक्षा मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है और कहा गया है कि, भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों से बंधा हुआ है, जो भारत को युद्ध अपराधों के दोषी देशों को सैन्य हथियार नहीं देने के लिए बाध्य करते हैं, क्योंकि किसी भी निर्यात का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए किया जा सकता हैं। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस मामले की सुनवाई होने की संभावना है।

याचिका में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम सहित कई कंपनियों द्वारा इजरायल को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति, संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है। याचिका में मांग की गई है कि इजरायल को दी जाने वाली सैन्य सहायता को तुरंत निलंबित कर दिया जाना चाहिए। मौजूदा समय में रक्षा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम मेसर्स म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड और प्राइवेट सेक्टर की कंपनी मेसर्स प्रीमियर एक्सप्लोसिव और अदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड सहित अन्य कंपनियों द्वारा हथियारों की आपूर्ति इजरायल को की जा रही है।

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अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, "भारत को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल हर संभव कोशिश करनी चाहिए कि इजरायल को पहले से दिए गए हथियारों का इस्तेमाल नरसंहार करने, नरसंहार के कृत्यों में योगदान देने या इस तरह के कामों में इस्तेमाल न किया जाए, जिससे कि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन होता हो।"

याचिकाकर्ताओं में अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, पूर्व नौकरशाह हर्ष मांदर और सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे भी शामिल हैं। उन्होंने तर्क दिया है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 गैर-नागरिकों के लिए भी उपलब्ध है और इस मुद्दे की न्यायिक समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि भारत की कार्रवाई सीधे तौर पर इजरायल के साथ चल रहे युद्ध में फिलिस्तीनियों की मौत में सहायक बन रही है।

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अर्जी में कहा गया है कि गाजा पर इजरायल के हमले में हजारों फलस्तीनी नागरिक मारे गए हैं। इससे पहले हमास के बंदूकधारियों ने सात अक्टूबर 2023 की सुबह गाजा की सीमा पार करके इजराइल में धावा बोला और लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी। उन्होंने इजरायल के कई लोगों को बंधक भी बना लिया था।

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