Hindi Newsदेश न्यूज़Supreme Court refuses to entertain plea against LG power to nominate 5 MLAs to Jammu Kashmir Assembly

‘LG 5 MLA मनोनीत कर सकते हैं या नहीं, हमें नहीं पता’; SC ने याचिका पर सुनवाई से क्यों किया इनकार

हालिया चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेन्स और कांग्रेस गबंधन ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 49 सीटें जीती हैं। NC ने 42, कांग्रेस ने 6 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने एक सीट हासिल की, जिससे गठबंधन की संख्या 49 हो गई।

Pramod Praveen हिन्दुस्तान टाइम्स, उत्कर्ष आनंद, नई दिल्लीMon, 14 Oct 2024 02:43 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने आज (सोमवार को) उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल (LG) के उस अधिकार को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत उप राज्यपाल विधानसभा में पांच विधायक मनोनीत कर सकते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से दो टूक कहा, "वे मनोनीत कर सकते हैं, या नहीं भी कर सकते हैं...हमें नहीं पता। आप हाई कोर्ट जाइए। हर बात सीधे सुप्रीम कोर्ट में नहीं आनी चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई है, जब इस केंद्र शासित प्रदेश में नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं।

सिंघवी जम्मू-कश्मीर निवासी याचिकाकर्ता रविंदर कुमार शर्मा की पैरवी कर रहे थे। शर्मा ने अपनी याचिका में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 15, 15ए और 15बी को चुनौती दी है। ये प्रावधान एलजी को विधानसभा में पांच सदस्यों को नामित करने का अधिकार देते हैं, जो संभावित रूप से निर्वाचित निकाय की संरचना को बदल सकते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस की सहायता से सिंघवी ने इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर करने की कोशिश की। उन्होंने तर्क दिया कि यह संविधान के मूल ढांचे से संबंधित है, और ​​चुनावी जनादेश के लिए बड़ा खतरा है।

सिंघवी ने कहा, “मान लीजिए कि 90 सदस्यीय विधानसभा में मेरे पास 48 की ताकत है। यह बहुमत से तीन ज्यादा है। यदि एलजी पांच विधायकों को नामित करते हैं, तो दूसरी तरफ सभी सदस्यों को मिलाकर उनकी संख्या 47 हो सकती है और यह बहुमत से सिर्फ एक कम रह सकता है। अगर भविष्य में उन्होंने नामांकन को पांच से बढ़ाकर दस करने का फैसला किया तब तो इस शक्ति का उपयोग करके वो चुनावी जनादेश को पूरी तरह से बदल दे सकते हैं।"

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इस पर पीठ ने पलटवार करते हुए कहा, “पहली बात कि उन्होंने अभी तक ऐसा किया नहीं है। दूसरी बात, इन प्रावधानों के होने के पीछे उनके पास कुछ कारण होने चाहिए। हाई कोर्ट को इन सबकी जांच करनी चाहिए और ऐसा लगता है कि यह याचिका चुनाव परिणाम आने से पहले ही दायर की गई थी।" इसके बाद अपने संक्षिप्त आदेश में पीठ ने कहा, "हम संविधान के अनुच्छेद 32 (रिट क्षेत्राधिकार) के तहत इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। हम याचिकाकर्ता को अनुच्छेद 226 (रिट) के तहत क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता देते हैं।"

इस पर, सिंघवी ने पीठ से कहा कि अगर इस मामले में कुछ बड़ा होता है तो उन्हें वापस आने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके जवाब में, पीठ ने कहा: "यह अभी तक नहीं हुआ है, और हम यह भी कह सकते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए।"

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