जम्मू-कश्मीर में एनसी को समर्थन देगी AAP, उपराज्यपाल को सौंप दिया समर्थन पत्र
- आप की ओर से शुक्रवार को गया कि इसे लेकर समर्थन पत्र उपराज्यपाल को सौंप दिया गया है। मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आप का एक विधायक जीता है।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन देने का ऐलान किया है। पार्टी की ओर से शुक्रवार को गया कि इसे लेकर समर्थन पत्र उपराज्यपाल को सौंप दिया है। मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आप का एक विधायक जीता है। जम्मू-कश्मीर में हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की। साथ ही, गठबंधन सहयोगी कांग्रेस ने 6 सीट हासिल की है। भारतीय जनता पार्टी ने 29, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने 3 और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी व आम आदमी पार्टी ने एक-एक सीट जीती। निर्दलीय उम्मीदवारों ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की।
नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल ने अपने उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को श्रीनगर में एनसी के विधायक दल का नेता चुना है। वहीं, कांग्रेस विधायक दल अपना नेता चुनने के लिए शुक्रवार को श्रीनगर में बैठक करेगी। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, ‘कांग्रेस के विधायक, कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा की अध्यक्षता में मीटिंग करेंगे।’ उन्होंने कहा कि बैठक में चुने गए नेता का नाम पार्टी आलाकमान की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
कांग्रेस के समर्थन पत्र सौंपने का इंतजार, बोले उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 7 में से 4 निर्दलीय विधायकों ने पार्टी को को समर्थन दे दिया है, जिससे पार्टी का विधानसभा में आंकड़ा बढ़कर 46 हो गया है। अब्दुल्ला ने कहा, 'कांग्रेस के साथ बातचीत की जा रही है। उन्हें फैसला करने के लिए एक दिन का वक्त दिया गया है। जैसे ही वे हमें समर्थन पत्र देंगे। मैं सरकार बनाने का दावा पेश करूंगा।' जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को तीन चरणों में हुए थे। मतों की गिनती 8 अक्टूबर को हुई थी।
…ऐसा होता तो भाजपा जीत जाती: उमर अब्दुल्ला
नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा था, ‘विधानसभा चुनाव के नतीजे साबित करते हैं कि जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर लोग पूर्ववर्ती राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के पक्ष में नहीं हैं। यह जनादेश स्पष्ट रूप से उस फैसले के पक्ष में नहीं है। अगर ऐसा होता तो भाजपा जीत जाती। जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर लोगों ने पांच अगस्त 2019 के कदम का समर्थन नहीं किया है। यह एक सच्चाई है। हमसे परामर्श नहीं किया गया और हम उस फैसला का हिस्सा नहीं थे। लेकिन अब हम आगे बढ़ेंगे और देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।’
(एजेंसी इनपुट के साथ)