Hindi Newsदेश न्यूज़take states view on same sex marriage centre says to supreme court - India Hindi News

राज्यों से भी सलाह लो, तब तक रोको सुनवाई; समलैंगिक शादियों को मंजूरी पर केंद्र सरकार का नया दांव

समलैंगिक शादियों को मंजूरी देने के मामले में राज्य सरकारों की भी सलाह लेनी चाहिए। तब तक के लिए मामले की सुनवाई स्थगित की जाए। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में यह बात कही।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 19 April 2023 06:22 AM
share Share

समलैंगिक शादियों को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध कर रही केंद्र सरकार ने अब इस मामले में राज्यों को भी शामिल करने की मांग की है। केंद्र सरकार ने अदालत में बुधवार नया हलफनामा देते हुए कहा कि इस मामले में किसी फैसले से पहले राज्यों की भी राय लेनी चाहिए। सरकार ने कहा कि हमने राज्य सरकारों को लिखा है और उनके जवाब का इंतजार हो रहा है। ऐसे में राज्यों के जवाब आने तक इस मसले पर सुनवाई रोक देनी चाहिए या फिर उन्हें भी इस मामले में पार्टी देना चाहिए। 

अदालत ने राज्यों को इस मामले में पार्टी बनाने से इनकार कर दिया है। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि तो फिर हमें ही वक्त मिलना चाहिए कि राज्यों की भी राय ली जाए। केंद्र सरकार ने कहा कि राज्यों की राय आने तक मामले को स्थगित रखना चाहिए। इससे पहले मंगलवार को भी सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि यह समवर्ती सूची का मसला है। केंद्र सरकार ऐसे मामलों में एकतरफा फैसला नहीं ले सकती। इसलिए राज्यों को भी इसकी प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए। 

सरकार ने कहा कि इस अहम मामले में राज्य सरकारें भी एक पार्टी हैं। समलैंगिक शादियों का मसला राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए उन्हें भी पार्टी बनाना चाहिए। यही नहीं मंगलवार को तो इस मामले पर दिलचस्प बहस हुई थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को इससे दूर रहना चाहिए क्योंकि यह संसद का मामला है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संसद समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है। याचिका दाखिल करने वाले लोगों को ही सिर्फ देश की आवाज नहीं कहा जा सकता। ऐसे में इस मामले को संसद पर ही छोड़ देना चाहिए। 

सरकार की राय पर आपत्ति जताते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम किसी को यह परमिशन नहीं देते कि वह हमें बताए कि कौन से मामले की सुनवाई करनी है और कौन से की नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत क्या पति के तौर पर पुरुष और पत्नी के तौर पर महिला को हटाकर क्या पर्सन नहीं लिखा जा सकता। 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें