पेरेंट्स के मनपसंद स्कूल में बच्चे का हो एडमिशन, मुजफ्फरनगर थप्पड़कांड में SC का यूपी सरकार को निर्देश
बच्चे के पिता ने पिछले महीने अदालत को बताया था कि वह अपने बेटे का एडमिशन मुजफ्फरनगर के शारडेन पब्लिक स्कूल में कराना चाहते हैं। इस पर विचार करने के लिए राज्य सरकार ने समिति का गठन किया।
यूपी में मुजफ्फरनगर के स्कूल में स्टूडेंट को थप्पड़ मारने के मामले को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान एससी ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि बच्चे को अपनी पसंद के पब्लिक स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की इजाजत दी जाए। अब इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। जस्टिस एएस ओका और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अगस्त में इस मामले को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दरअसल, टीचर की ओर से की गई सांप्रदायिक टिप्पणी के बाद मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
बच्चे के पिता ने पिछले महीने अदालत को बताया था कि वह अपने बेटे का एडमिशन मुजफ्फरनगर के शारडेन पब्लिक स्कूल में कराना चाहते हैं। इस पर विचार करने के लिए राज्य सरकार ने 1 नवंबर को समिति का गठन किया था। इस कमेटी में शाहपुर और मुजफ्फरनगर के 2 ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर शामिल हैं। इन्हें राज्य सरकार की ओर से छात्र के माता-पिता और स्कूल मैनेजमेंट से मिलने के लिए कहा गया था। इस तरह की देरी पर SC ने नाराजगी जताई। पीठ ने कहा, 'अगर राज्य अपील करता है तो कौन सा स्कूल इनकार करेगा। यह रुख मत अपनाइए कि आप समिति बनाना चाहते हैं। आखिर कमेटी इस मामले में क्या करेगी।'
एडमिशन के लिए स्कूल के प्रिंसिपल से करें बात: SC
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज और वकील कृष्णानंद पांडे राज्य सरकार की ओर से पेश हुए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बच्चे के पिता से संपर्क किया और उसे किसी भी स्टेट बोर्ड स्कूल में एडमिशन दिलाने के लिए तैयार थी। वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से वकील शादान फरासत पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को कहा कि पब्लिक स्कूलों में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के स्टूडेंट्स को एडमिशन देने का प्रावधान है। यह सब सुनने के बाद पीठ ने राज्य से कहा, 'आप सुनिश्चित करें कि विभाग के अधिकारी संबंधित स्कूल के प्रिंसिपल से बात करें। हम चाहते हैं कि इसका पालन हो। क्या हमें आदेश पारित करना पड़ेगा या फिर आप ऐसा करेंगे।'
आदेश जारी करने की नहीं पड़ेगी जरूरत: यूपी सरकार
राज्य की ओर से आश्वासन दिया गया कि आदेश की जरूरत नहीं है। इसके बाद अदालत ने मामले को शुक्रवार तक के लिए पोस्ट कर दिया। मालूम हो कि इस जनहित याचिका पर विचार करते वक्त पीठ ने तीन बातों पर फोकस किया। ये हैं- घटना की जांच, बच्चे का एजुकेशन और पीड़ित व घटना में शामिल दूसरे बच्चों के लिए साइकोलॉजिकल काउंसलिंग। इसे लेकर राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि वह पीड़ित की काउंसलिंग के लिए लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट डॉक्टरों को शामिल करने का प्लान है। मालूम हो कि इस मामले को लेकर इससे पहले 30 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी।
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