S-400 missile system supplies hindered by Russia-Ukraine war said IAF Chief - India Hindi News भारतीय वायुसेना पर भी पड़ा रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, S-400 मिसाइल सिस्टम की सप्लाई में बाधा, India Hindi News - Hindustan
Hindi Newsदेश न्यूज़S-400 missile system supplies hindered by Russia-Ukraine war said IAF Chief - India Hindi News

भारतीय वायुसेना पर भी पड़ा रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, S-400 मिसाइल सिस्टम की सप्लाई में बाधा

IAF ने S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के पांच स्क्वाड्रन के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए थे। इनमें से तीन यूनिट समय पर प्राप्त हो गईं लेकिन दो स्क्वाड्रन की आपूर्ति अभी तक नहीं की गई है।

Amit Kumar एजेंसियां, नई दिल्लीTue, 3 Oct 2023 10:48 PM
share Share
Follow Us on
भारतीय वायुसेना पर भी पड़ा रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, S-400 मिसाइल सिस्टम की सप्लाई में बाधा

रूस और यूक्रेन में पिछले डेढ़ साल से भी ज्यादा समय से युद्ध जारी है। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। खासतौर से भारतीय सेना भी इससे प्रभावित हुई है। युद्ध के कारण रूस से एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के दो स्क्वाड्रन की आपूर्ति बाधित हो गई है। हालांकि अब इसके अगले साल पूरा होने की उम्मीद है। खुद भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने मंगलवार को ये जानकारी दी।

वायु सेना प्रमुख ने आज वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमारा कॉन्ट्रैक्ट पांच सिस्टम के लिए था। तीन की डिलीवरी हो चुकी है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण डिलीवरी में बाधा आ रही है और हमें यकीन है कि अगले एक साल में हमें बाकी सिस्टम भी मिल जाएंगे। हम स्वदेशी लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के लिए स्वदेशी प्रोजेक्ट कुशा का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।"

IAF ने S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के पांच स्क्वाड्रन के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए थे। इनमें से तीन यूनिट समय पर प्राप्त हो गईं लेकिन दो स्क्वाड्रन की आपूर्ति अभी तक नहीं की गई है। वायुसेना प्रमुख ने घोषणा की कि भारतीय वायु सेना को अब प्रोजेक्ट कुशा की पांच यूनिट को विकसित करने के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है, जिसके तहत एस-400 मिसाइल सिस्टम का भारतीय वर्जन डेवलप किया जाएगा। भारतीय सिस्टम में एक बहुस्तरीय मिसाइल सिस्टम शामिल है जो लगभग 400 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम होगी और इसे प्राइवेट इंडस्ट्री के साथ साझेदारी में तैयार किया जा रहा है।

इस दौरान वीआर चौधरी ने कहा कि वायुसेना की अभियानगत योजनाएं बहुत ही मजबूत हैं और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जहां भी यह ‘‘शत्रु की संख्या या शक्ति’’ का मुकाबला नहीं कर सकती वहां बेहतर तरकीबों, प्रशिक्षण के जरिए और पर्वतीय रडार जैसे स्वदेश निर्मित सैन्य उपकरण, लंबी दूरी की मिसाइलें तथा ‘अपग्रेडेड’ लड़ाकू विमानों को तैनात कर चुनौतियों से निपेटेगी। वायुसेना प्रमुख ने आठ अक्टूबर को मनाए जाने वाले वायुसेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन में, पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद पर कहा कि टकराव वाले शेष स्थानों से (दोनों देशों के) सैनिकों को पीछे हटाये जाने तक क्षेत्र में सीमा पर वायुसेना की तैनाती बनी रहेगी।

उन्होंने कहा कि अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत सेना की आवश्यकता को फिर से बता रही है और वायुसेना क्षेत्र में भारत की सैन्य ताकत दिखाने का आधार बनी रहेगी। रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक पर, उन्होंने कहा कि भारत के शत्रुओं का मुकाबला करने के लिए पूर्ण क्षमता विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को विश्व का ‘नया आर्थिक और रणनीतिक केंद्र’ बताया जो चुनौतियां और अवसर, दोनों दे रहा है।