MBBS कोर्स में NMC ने किए बदलाव, पहले वर्ष से जोड़े गए नए विषय
पहले चरण में अग्रिम नैदानिक जानकारी (अर्ली मेडिकल एक्सपोजर) के लिए 60 घंटे तय किए गए हैं। इस दौरान छात्रों को तीन विषयों बायोकेमिस्ट्री, ह्यूमन एनाटॉमी तथा फिजियोलॉजी का अध्ययन करना होगा।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने MBBS पाठ्यक्रम में कई अहम बदलाव किए हैं। इसमें पहले चरण में पढ़ाए जाने वाले कुछ विषयों को अंतिम चरण में शामिल किया गया है। एनएमसी ने कहा कि 15 नवंबर से शुरू हुए सत्र से नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। डॉक्टरों को मौजूदा चिकित्सा चुनौतियों का सामना करने में दक्ष बनाने के लिए यह बदलाव किए गए हैं।
मेडिकल की पढ़ाई चार सत्रों में पूरी होती है। पहला सत्र 15 दिसंबर 2023 तक पूरा होगा। इसमें सबसे ज्यादा बदलाव किए गए हैं। पहले वर्ष में महामारी, नैदानिक जानकारी (क्लीनिकल एक्सपोजर),सामुदायिक चिकित्सा में परिवारों को गोद लेने जैसे नए कार्यक्रम शामिल किए गए हैं।
इसमें पहले चरण में सामुदायिक दवा के तहत फैमिली एडाप्टेशन (परिवार को गोद लेना) के लिए 67 घंटे का अध्ययन जरूरी होगा। साथ ही मेडिकल छात्रों को छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर एक परिवार को गोद लेकर उन पर स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन करना होगा। इसका मकसद छात्रों का ग्रामीण आबादी से संपर्क बढ़ाना है।
पहले चरण में अग्रिम नैदानिक जानकारी (अर्ली मेडिकल एक्सपोजर)के लिए 60 घंटे तय किए गए हैं। इस दौरान तीन विषयों बायोकेमिस्ट्री, ह्यूमन एनाटॉमी तथा फिजियोलॉजी का अध्ययन करना होगा। हर छात्र को छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर एक परिवार को गोद लेकर स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन करना होगा।
दूसरे चरण में पेंडेमिक मॉड्यूल रखा गया
भविष्य में कोरोना जैसी चुनौतियों से निपटने में डॉक्टरों को समक्ष बनाने के लिए एमबीबीएस के दूसरे चरण (16 दिसंबर 2023 से 15 जनवरी 2025) में एक नया कोर्स पेंडेमिक मॉड्यूल डाला गया है। इसके लिए 28 घंटे की पढ़ाई अनिवार्य है। 13 माह के एमबीबीएस के दूसरे चरण में 660 घंटे क्लीनिकल कोर्स के हैं।
600 घंटे की क्लीनिकल पोस्टिंग
तीसरे चरण में 600 घंटे की क्लीनिकल पोस्टिंग रखी गई है। तीसरा चरण 10.5 महीने का होता है, जो 16 जनवरी 2025 से 30 नवंबर 2025 तक चलेगा।
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