गुजरात चुनाव: दलित वोटरों को लुभाने के लिए BJP ने तैयार किया यूपी वाला फार्मूला
भाजपा ने दलित वोट बैंक को देखते हुए खुद को उनकी पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश शुरू की है। इन्हें अब तक परंपरागत रूप से बसपा का वोट बैंक माना जाता है।
जैसे जैसे गुजरात विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, राजनीतिक पार्टियां अपने अभियान को तेज कर रही हैं। इसी कड़ी में भाजपा ने भी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा अपनी दलित पहुंच को तेज करना चाहती है। इसी कड़ी में भाजपा ने दलित वोट बैंक को देखते हुए खुद को उनकी पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश शुरू की है। इन्हें अब तक परंपरागत रूप से बसपा का वोट बैंक माना जाता है।
योजनाओं का प्रचार और दलित नेताओं को आगे करना
असल में गुजरात में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। चुनावों को लेकर भाजपा अनुसूचित जातियों और जनजातियों पर ध्यान केंद्रित करेगी। पार्टी के सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह गुजरात में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक चिंतन बैठक के बाद पार्टी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए तैयार की गई योजनाओं को बढ़ाने और समुदाय के नेताओं के साथ बैठकें आयोजित करने का फैसला किया है।
यूपी चुनाव का फार्मूला गुजरात में
रिपोर्ट्स के मुताबिक 2011 की जनगणना के अनुसार गुजरात की आबादी में अनुसूचित जातियों की संख्या सात प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजातियों की संख्या लगभग 15 प्रतिशत है। ओबीसी के 40 प्रतिशत प्रमुख जाति समूह हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 182 में से 99 सीटों पर जीत हासिल की थी। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा करने के बाद दलित पहुंच को तेज करने की आवश्यकता महसूस की गई और रूपरेखा तय की गई कि बसपा वोट बैंक को अपना वोट बैंक बनाने के लिए तगड़े प्रयास करने होंगे।
अब तक बसपा का वोट बैंक बरकरार रहा!
उत्तर प्रदेश के एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि अब तक बसपा के वोट बैंक के भाजपा की ओर शिफ्ट होने की बजाय हमें केवल 15 प्रतिशत वोट मिले, जबकि बड़ा हिस्सा (करीब 35 प्रतिशत) समाजवादी पार्टी को मिला और शेष 50 प्रतिशत मायावती की तरफ ही बरकरार रहा। एक उदाहरण का हवाला देते हुए पदाधिकारी ने कहा कि आगरा ग्रामीण सीट पर जहां भाजपा की जाटव नेता बेबी रानी मौर्य ने बसपा की किरण प्रभा केशरी को 76,000 मतों के अंतर से हराया, बसपा उम्मीदवार कुल एससी वोटों का 70% प्राप्त करने में सफल रही।
अपनी योजनाओं के दम पर भाजपा प्रयासरत
फिलहाल भाजपा अपनी गरीब समर्थक नीतियों के आधार पर अनुसूचित जाति समुदायों को लुभाती रही है। जिसमें रियायती आवास, शौचालय और मुफ्त राशन की योजनाएं शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में जहां एससी का वोट बैंक का लगभग 20% हिस्सा है, पार्टी की पहुंच इन सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए के समुदायों के लिए सामाजिक योजनाओं पर केंद्रित थी।
संघ भी सक्रिय और संगठन भी सक्रिय
पार्टी की पहुंच को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी सामाजिक समरस्ता और सामाजिक सद्भाव जैसे कार्यक्रमों में भाग लिया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हाल ही में भाजपा मुख्यालय में आठ घंटे लंबी मैराथन बैठक हुई, जिसमें देश भर के कार्यकर्ताओं ने एससी मतदाताओं को लुभाने के लिए बातचीत की। फिलहाल देखना यह है कि भाजपा का यूपी फार्मूला गुजरात में कहां तक सफल होता है।
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