लाउडस्पीकर के बाद अयोध्या जाने पर आमने-सामने शिवसेना और MNS, पोस्टर वॉर
महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर विवाद के बाद अब शिवसेना और एमएनएस दोनों ही अयोध्या जाने पर आमने-सामने आ गए हैं। पहले राज ठाकरे ने अयोध्या जाने का ऐलान किया अब आदित्य ठाकरे ने भी ऐलान कर दिया है।
लाउडस्पीकर विवाद के बाद अब शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बीच अयोध्या जाने को लेकर तनातनी शुरू हो गई है। एमएनएस चीफ राज ठाकर ने ऐलान किया था कि वह 5 जून को अयोध्या जाएंगे। अब महाराष्ट्र के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने ऐलान कर दिया है कि अगले महीने वह रामलला के दर्शन करने अयोध्या जाएंगे। उनके साथ शिवसेना के कार्यकर्ता भी होंगे।
दोनों नेताओं के ऐलान के बाद अब 'असली-नकली' का पोस्टरवॉर शुरू हो गया है। कुछ दिन पहले एमएनएस ने अयोध्या में राज ठाकरे की तस्वीर वाला पोस्टर लगाया था और लिखा था, 'राज तिलक की करो तैयारी, आ रहे हैं भगवाधारी।' अब शिवसेना ने पोस्टर लगाए हैं और लिखा है, 'असली आ रहा है, नकली से सावधान।' इस पोस्टर पर उद्धव ठाकरे, स्वर्गीय बाल ठाकरे और आदित्य ठाकरे की तस्वीर लगी हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने इन होर्डिंग को हटा दिया है।
क्या है अयोध्या जाने के पीछे की मंसा?
मनसे और शिवसेना दोनों ही अयोध्या के संतों से संपर्क कर रहे हैं। दरअसल हिंदुत्व के अजेंडे पर दोनों ही दल अपना-अपना माहौल बनाना चाहते हैं। जब कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद शिवसेना पर सवाल उठने लगे तो राज ठाकरे ने इसका फायदा उठाने का प्रयास किया। हालांकि शिवसेना ने फिर से खुद को ब्रैंड हिंदू साबित करने के प्रयास में कमी नहीं छोड़ी। आने वाले लोकसभा चुनाव में फिर से हिंदुत्व के नाम पर वोट बटोरने के लिए राजनीति शुरू हो गई है।
भाजपा सांसद ने राम मंदिर आंदोलन में ठाकरे परिवार के योगदान को लेकर भी ट्वीट किया था। उन्होंने कहा था, राम मंदिर आंदोलन से लेकर मंदिर निर्माण तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और आम आदमी का योगदान था। ठाकरे परिवार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी से भी अपील की कि जब तक वह उत्तर भारतीयों से माफी नहीं मांगते, उनसे मुलाकात न करें।
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