बिहार जमीन सर्वे: पेपर लाने के लिए समय देगी सरकार लेकिन नहीं रुकेगी डिजिटल लैंड रिकॉर्ड की मुहिम
- बिहार में जमीन का मालिकाना हक तय करने और उसे डिजिटल रिकॉर्ड में लेने के लिए चल रहे बिहार जमीन सर्वेक्षण का काम सरकार किसी भी सूरत में नहीं रोकेगी। पंचायत और अंचल में हो रही समस्याओं को देखते हुए मंत्री दिलीप जायसवाल ने हालांकि कह दिया है कि लोगों को पेपर लाने के लिए समय दिया जाएगा।
बिहार में पंचायत से अंचल तक जमीन का मालिकाना हक दिखाने वाले कागजात के लिए जूझ रहे लोगों की समस्याओं को देखते हुए सरकार ने संकेत दिया है कि जमीन मालिकों को दस्तावेज को जमा करने के लिए समय दिया जाएगा लेकिन जमीन सर्वे का काम नहीं रुकेगा। बिहार भूमि सर्वे में लोगों को आ रही परेशानियों और विपक्षी दलों के हमले के बाद संभावना जताई जा रही थी कि नीतीश कुमार की सरकार जमीन सर्वे के लिए कोई समय सीमा तय किए बिना धीरे-धीरे काम को आगे बढ़ाएगी। राज्य के भूमि सुधार मंत्री व भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि जमीन मालिकों को स्वामित्व के लिए खुद का घोषणा पत्र जमा करने के लिए और समय दिया जाएगा।
दिलीप जायसवाल ने कहा- “हमने लोगों की परेशानियों की समीक्षा की है। इसके लिए समय सीमा बढ़ाई जाएगी। कुछ दिन में सरकारी आदेश निकल जाएगा। हमने चल रहे काम की समीक्षा की है और सब ठीक चल रहा है। पूरी कवायद का मकसद है कि डिजिटल जमीन रिकॉर्ड के साथ सही लोगों के लिए जमीन का विवाद हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाए।” मंत्री ने हालांकि ये साफ कर दिया कि सरकार इससे पीछे नहीं हटने वाली है। उन्होंने कहा कि लैंड माफिया जान-बूझकर भ्रम और अफवाह फैला रहे हैं लेकिन वो काम नहीं करने वाला।
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नवादा में महादलितों की बस्ती में जमीन कब्जा के मकसद से दबंगों द्वारा आगजनी की घटना के बाद मंत्री का बयान महत्वपूर्ण है। नवादा शहर से महज दो किलोमीटर दूर इस बस्ती की जमीन को दबंग लैंड सर्वे से पहले कब्जा कर लेना चाहते हैं ताकि इसे अपना दिखा सकें। हालांकि नवादा के डीएम ने कहा है कि 1995 से इस जमीन के मालिकाना हक का मुकदमा कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट ने मई में विवादित जमीन की जांच का आदेश भी दिया था क्योंकि इसका मालिक कौन है, ये साफ नहीं है। स्थानीय लोग कहते हैं कि ये सरकारी जमीन थी जिसे किसी ने सरकारी अधिकारियों की मदद से अपने नाम करवा लिया होगा। लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि वो कौन है।
भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि जमीन के मालिकाना हक को लेकर मुकदमे की खबर उन्होंने भी पढ़ी है जबकि कुछ लोग कुछ और बात कर रहे हैं। सिंह ने नवादा डीएम से रिपोर्ट मांगी है और कहा कि रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा कि इस समय क्या स्थिति है। नवादा की घटना अलग तरह की है लेकिन ये आखिरी हो, ऐसा नहीं है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और कब्जा की शिकायत पूरे राज्य में है। ऐसे में जमीन के सर्वे से गैर कानूनी तरीके से जमीन कब्जा किए लोगों में बेचैनी और छटपटाहट है। कई परिवार में जमीन दादा या परदादा के नाम पर ही है जो अलग समस्या है।
बिहार में बहुप्रतीक्षित जमीन सर्वे का लक्ष्य राज्य के लगभग 45 हजार गांवों में जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटाइज करना है। सरकार ने इसके लिए 25 जुलाई 2025 की समय सीमा तय की है जो विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पूरी हो सकती है। अगर समय से पहले चुनाव हो गए तो यह प्रक्रिया चुनाव से पहले अधूरी भी रह सकती है।
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जमीन के कागज तैयार करने में जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार आ रही हैं जिसके जवाब में सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जमीन के कागज तैयार करने की सुविधा का प्रचार कर रही है। लेकिन गांवों में इस सुविधा का उपयोग कितने लोग कर पाए हैं, ये कहा नहीं जा सकता। नीतीश सरकार के एजेंडा पर लैंड सर्वे काफी समय से था। राज्य में जमीन का विवाद क्राइम का सबसे बड़ा कारण है, ये एनसीआरबी के आंकड़ों से भी स्पष्ट हुआ है। जमीन विवाद को खत्म कर कानून-व्यवस्था को ठीक करना नीतीश का मकसद है। एनसीआरबी का ताजा डेटा बताता है कि बिहार में 60 प्रतिशत हत्याएं जमीन के लिए हुईं।
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एक अफसर ने कहा कि इस सर्वे से सरकार को भी राज्य में फैली अपनी जमीन का हिसाब मिल जाएगा। सरकार को भूमिहीनों को देने के लिए जमीन चाहिए, बड़ी परियोजनाओं के लिए जमीन चाहिए। जमीन अधिग्रहण में जमीन का कागज के बिना मुआवजा देना मुश्किल है। जेडीयू के एक सीनियर नेता ने कहा कि आने वाले दिनों में नीतीश खुद जमीन सर्वेक्षण की समीक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को भी फीडबैक मिल ही रहा होगा। ये पता ही था कि ये चुनौतीपूर्ण है लेकिन बिहार में यह समय की मांग है। जेडीयू नेता ने 2016 से बिहार में लागू शराबबंदी की वजह से सरकार के राजस्व में कमी का इशारा करते हुए सीएम की तारीफ की और कहा कि नीतीश इन चुनौतियों से निबटने के लिए ही जाने जाते हैं।