SC का आदेश नहीं पढ़ा क्या? अब तक क्यों नहीं दिया आरक्षण, किस सरकार पर भड़के HC जज
बेंच ने कहा कि नालसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बावजूद केरल सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं।
केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को छह महीने के अंदर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आरक्षण लागू करने का आदेश दिया है। अनेरा कबीर बनाम केरल राज्य और अन्य से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए हाल ही में जस्टिस मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस पी कृष्ण कुमार की खंडपीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद अब तक राज्य सरकार ने इसे लागू क्यों नहीं किया।
बेंच ने कहा कि नालसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बावजूद केरल सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़े समुदाय को शामिल करने के लिए ऐसा आरक्षण आवश्यक है।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, “किसी भी सरकारी रोजगार से जुड़ी अधिसूचना में ट्रांसजेंडरों के लिए आरक्षण नहीं दिया गया है। ट्रांसजेंडर हाशिए पर हैं। विकास के लिए शिक्षा और रोजगार में उनका समावेश जरूरी है। सार्वजनिक रोजगार में उनकी आवाज नहीं सुनी जाती। उन्हें भी आगे बढ़ने की जरूरत है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनजर सरकार उन्हें आरक्षण प्रदान करने के उनके अधिकारों के क्रियान्वयन में देरी नहीं कर सकती। ऐसी परिस्थितियों में हमारा मानना है कि सरकार इस फैसले की प्रति प्राप्त होने की तिथि से छह महीने के भीतर ट्रांसजेंडरों को आरक्षण प्रदान करने के उपायों को लागू करेगी।”
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने राज्य में शिक्षा और रोजगार में आरक्षण नहीं दिए जाने की शिकायत पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न अंतरिम आदेशों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अधिनियमन और केरल सरकार द्वारा 2020 में नियमों के बाद के निर्धारण के बावजूद, सरकार आरक्षण के मुद्दे को हल करने के लिए कोई ठोस नीति लागू करने में विफल रही है।