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कुर्मी से ज्यादा ब्राह्मण हैं, नेतृत्व क्यों नहीं कर सकते; मुसलमानों पर भी खुलकर बोले प्रशांत किशोर

  • प्रशांत किशोर ने खुद की ब्राह्मण पहचान को लेकर कहा कि आखिर संविधान में कहां लिखा है कि सवर्ण कोई राजनीतिक प्रयास नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मैं जातिवादी राजनीति नहीं करता हूं, लेकिन कुछ लोग मेरे नाम में पांडेय ढूंढकर ला रहे हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में मुस्लिमों को लेकर भी खुलकर बात की।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 2 Sep 2024 06:15 AM
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जनसुराज के नेता प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति को लेकर कहा कि नीतीश कुमार जिस कुर्सी समाज से आते हैं, उससे अधिक ब्राह्मणों की आबादी है। इसलिए यदि कुर्मी नेता नेतृत्व कर सकता है तो कोई ब्राह्मण क्यों नहीं कर सकता। उन्होंने खुद की ब्राह्मण पहचान को लेकर कहा कि आखिर संविधान में कहां लिखा है कि सवर्ण कोई राजनीतिक प्रयास नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मैं जातिवादी राजनीति नहीं करता हूं, लेकिन कुछ लोग मेरे नाम में पांडेय ढूंढकर ला रहे हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में मुस्लिमों को लेकर भी खुलकर बात की।

प्रशांत किशोर ने कहा, '18 फीसदी आबादी मुसलमानों की है और उनकी भूमिका भी अहम होगी। हम तय करते हैं कि दल के पदाधिकारियों में 18 पर्सेंट मुसलमान होंगे। इसके अलावा टिकट पाने और पदों पर आने के मामले में भी उन्हें मौका दिया जाएगा। पीके ने कहा कि हम आबादी के अनुसार सभी वर्गों को मौका देने का प्रयास करेंगे।' पीके ने कहा कि 2 अक्टूबर को हमारा दल औपचारिक रूप लेगा। इसमें एक साथ 1 करोड़ लोग आएंगे। यह ऐसा पहली बार होगा, जब कोई पार्टी बनाने के लिए ही 1 करोड़ लोग आगे आएंगे। हम अलग-अलग वर्गों से बात कर रहे हैं। मुसलमानों के साथ मीटिंग की है। उन्होंने कहा कि हमारी मूलभावना है कि सभी को साथ लेकर दल बनाना है।

वहीं प्रशांत किशोर ने आरजेडी के एमवाई समीकरण को लेकर कहा कि यह अस्तित्व में नहीं है। पीके ने कहा कि 2014 में 4 सांसद उनके बने और फिर 2019 में यह आंकड़ा जीरो पर रहा। फिर से 4 सीट ही उन्हें मिली है। अब तक मुसलमान वोट उन्हें देता रहा है, लेकिन इसकी वजह आरजेडी का काम नहीं है बल्कि भाजपा से डर है। अब अगर मुसलमानों की बात करें तो दलितों के बाद सबसे बदहाल मुसलमान ही हैं। उनमें घबराहट और चिंता भी है। उन्हें दिख रहा है कि कुछ मिल नहीं रहा है। ना ही विकास हुआ और ना राजनीतिक भागीदारी मिल पाई। हम उन्हें यह बताएंगे कि वह सिर्फ भाजपा के विरोध में वोट न दें बल्कि अपने बच्चों के भविष्य के लिहाज से आगे बढ़ें।

उन्होंने कहा कि ऐसे ही एक बड़ा वर्ग जो नीतीश कुमार या भाजपा को वोट देता है, वह लालू से डर वाला है। मैं मुसलमानों को बताता हूं कि आपने अब तक जिन रहनुमाओं को चुना है, उन्होंने आपके लिए क्या किया। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट 2006 में आई। तब ज्यादा दिन भाजपा का शासन नहीं था। उस रिपोर्ट के आधार पर देखें तो साफ है कि मुसलमानों ने जिन लोगों को वोट दिया था, उन्होंने उनको आगे नहीं बढ़ाया। पीके ने कहा कि जनसुराज पार्टी का नेता मैं नहीं रहूंगा। पार्टी के लोग ही नेतृत्व पर फैसला लेंगे।

'मैं अपना सब कुछ बिहार के लिए दांव पर लगाकर निकला हूं'

चुनावी रणनीतिकार रहे पीके ने कहा कि मैंने अपना सब कुछ इसके लिए दांव पर लगाया है। इस दौरान मैं बाहर नहीं निकला हूं। बिहार की स्थिति बदलने का पूरा खाका बनाकर आया हूं। उन्होंने कहा कि हमारा अभियान यह है कि आजादी से पहले ही कांग्रेस जैसा एक दल बनाया जाए। उस दौर में कांग्रेस का अध्यक्ष अधिवेशन में चुना जाता था और उनका कार्यकाल डेढ़ साल से ज्यादा का नहीं होता था। तब तो अनपढ़ लोगों की संख्या अधिक थी, लेकिन लोकतंत्र इतना अधिक था। फिर भी लोग अपने नेता का चुन लेते थे। क्या ऐसी स्थिति बिहार में नहीं हो सकती है। हम उसी को मॉडल मानकर आगे चल रहे हैं।

AAP से जनसुराज की तुलना पर क्या बोले प्रशांत किशोर

पीके ने AAP से तुलना करने पर कहा कि हम आंदोलन से नहीं निकले हैं बल्कि समाज से निकले हैं। पीके ने कहा कि हमारे यहां कोई यह दावा नहीं करते कि सब कुछ सुधार देंगे। हमारा कहना होता है कि यदि लोग साथ आएंगे तो सुधार होगा। उन्होंने कहा कि हमारा यकीन आंदोलन में न था और न रहेगा। हमारा यकीन तो लोगों को जागरूक करने पर है। पीके ने कहा कि मैं 20 सालों के अनुभव के जरिए बिहार को सुधारने का प्रयास करूंगा। यह किसी व्यक्ति, विचारधारा या दल की बात नहीं है। इसके लिए समाज को सुधारना होगा। इसलिए हमारा पूरा अभियान गांधी जी से प्रेरित है।

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