प्यासा तड़पेगा पाकिस्तान, भारत अब कभी नहीं देगा सिंधु नदी का पानी; नहरों के विस्तार का फैसला
जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र की तकनीकी टीम की निगरानी में रणबीर, न्यू प्रताप, रंजन, तावी लिफ्ट, परगवाल, कठुआ और रावी नहरों में जमा गाद को हटाने का काम चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा।

भारत के साथ तनाव के बीच अब पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ने वाली है। भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद अब एक और बड़ा फैसला किया है, जिससे पाकिस्तान में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो सकती है। भारत मे जम्मू-कश्मीर की पुरानी नहरों के पुनर्निर्माण और विस्तार का कार्य प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। इसमें कठुआ, न्यू प्रताप और रणबीर नहरें प्रमुख रूप से शामिल हैं, जिन्हें 100 वर्षों से अधिक समय बाद पहली बार कायाकल्प किया जाएगा।
आपको बता दें कि यह पहल पिछले महीने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की गई है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। हमले के जवाब में भारत ने न केवल "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया।
जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र की तकनीकी टीम की निगरानी में रणबीर, न्यू प्रताप, रंजन, तावी लिफ्ट, परगवाल, कठुआ और रावी नहरों में जमा गाद को हटाने का काम चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा। बाद में इनका विस्तार किया जाएगा ताकि इन नहरों के पानी ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाई जा सके और सिंचाई योग्य क्षेत्र को विस्तृत किया जा सके।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इन नहरों की क्षमता पिछली सदी के अनुसार तय की गई थी, जबकि अब कृषि मांग कई गुना बढ़ चुकी है।"
इन नहरों के पुनरुद्धार से भारत की खेती को मॉनसून की अनिश्चितता से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। भारत की कुल बुआई क्षेत्र का 60% हिस्सा मॉनसूनी वर्षा पर निर्भर है और जम्मू क्षेत्र में वर्षा देर से आती है और जल्दी समाप्त हो जाती है। इससे सालभर खेती बाधित होती रही है।
भारत अब किशनगंगा, राटले, मियार नाला, लोअर कलनई और पकल दुल जैसे पनबिजली परियोजनाओं पर भी तेजी से काम करेगा। वुलर झील पर तुलबुल परियोजना भी अब प्राथमिकता पर है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहले भी इस परियोजना को लेकर जोर दिया था।
रणबीर नहर को 1905 में बनाया गया था। यह करीब 60 किमी लंबी है और जम्मू क्षेत्र की प्रमुख सिंचाई लाइन रही है। पुरानी प्रताप नहर 1906 में बनी थी और लगभग 8000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करती थी। नई प्रताप नहर देविपुर गांव के पास शुरू होती है। मात्र 9030 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई कर पाती है, जबकि इसकी क्षमता लगभग 16500 हेक्टेयर तक मानी गई थी।
संधि के अनुसार, रणबीर नहर से अधिकतम 1000 क्यूसेक सिंचाई और 250 क्यूसेक जल विद्युत उत्पादन के लिए पानी लिया जा सकता था। लेकिन अब भारत संधि की बंदिशों से मुक्त होकर इनकी पूर्ण क्षमता का दोहन करेगा।
भारत की इस नई रणनीति पर पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जताई है और चेतावनी दी है कि पानी के प्रवाह को रोका गया तो उसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया है, “सिंधु संधि मौजूदा वक्त में अप्रासंगिक हो गई है। बीते दशकों में जलवायु परिवर्तन, डैम तकनीक में विकास और भारत की बढ़ती जरूरतें संधि के दायरे से परे चली गई हैं।”