भाषा युद्ध के लिए तैयार है तमिलनाडु, एमके स्टालिन बोले- 2 हजार साल पीछे चला जाएगा तमिल समाज
- एमके स्टालिन ने कहा है कि वह नए भाषा युद्ध के लिए तैयार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नई शिक्षा नीति के तहत उनपर हिंदी जबरन थोपी जा रही है। उन्होंने कहा कि दो हजार करोड़ के लिए तमिल समाज दो हजार साल पीछे नहीं जाना चाहता।

केंद्र के साथ कथित रूप से हिंदी थोपने के मुद्दे पर जारी विवाद के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि राज्य ‘एक और भाषा युद्ध’ के लिए ‘तैयार’ है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमपर दबाव बनाने के लिए हमारा पैसा रोक रही है। लेकिन दो हजार करोड़ के लिए हम अपना अधिकार नहीं छोड़ेंगे वरना तमिल समाज 2 हजार साल पीछे चला जाएगा। सचिवालय में कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि लोकसभा परिसीमन मुद्दे पर चर्चा के लिए 5 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु को आठ सीट खोने का ‘खतरा’ है, क्योंकि राज्य ने परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिससे जनसंख्या नियंत्रण हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के साथ पंजीकृत राजनीतिक दलों को सर्वदलीय बैठक के लिए आमंत्रित किया जाएगा और उन्होंने राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए एकता की अपील की। यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक में तीन-भाषा नीति पर चर्चा होगी, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मद्देनजर राजग के नेतृत्व वाली केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद का विषय है, स्टालिन ने कहा कि एनईपी, केंद्रीय कोष और एनईईटी जैसे मुद्दों पर संसद में आवाज उठाने के लिए पर्याप्त संख्या में सांसदों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘क्योंकि परिसीमन के नाम पर दक्षिणी राज्यों पर तलवार लटक रही है।’ राज्य सभी विकास सूचकांकों में अग्रणी था, लेकिन अब परिसीमन के बाद लोकसभा सीटों पर हार का ‘खतरा’ सामने है, क्योंकि यह प्रक्रिया राज्य की जनसंख्या पर आधारित होगी।
उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु ने परिवार नियोजन कार्यक्रम के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण में सफलता प्राप्त की। सिर्फ इसलिए कि जनसंख्या कम है, (तमिलनाडु में) लोकसभा सीटों में कटौती की स्थिति है।’ स्टालिन ने कहा, ‘‘हम आठ सीटें खोने जा रहे हैं और परिणामस्वरूप, हमारे पास केवल 31 सांसद होंगे, न कि 39 (वर्तमान संख्या)।’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा प्रतिनिधित्व (संसद में) कम हो जाएगा, तमिलनाडु की आवाज दबाई जा रही है।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तमिलनाडु के अधिकारों का मामला है और सभी नेताओं एवं राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर पार्टी लाइन से हटकर एक साथ बोलना चाहिए । यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र के कथित रूप से हिंन्दी थोपने के मद्देनजर ‘एक और भाषा युद्ध के बीज बोए जा रहे हैं’, स्टालिन ने जवाब दिया, ‘हां, निश्चित रूप से। और हम इसके लिए तैयार हैं।"
सत्तारूढ़ डीएमके तीन भाषा नीति का विरोध कर रही है और जोर दे रही है कि तमिलनाडु, तमिल एवं अंग्रेजी से संतुष्ट है, और उसने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। हालांकि केंद्र सरकार ने इस आरोप का खंडन किया है। (एजेंसियों से इनपुट्स के साथ)
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