किसान आंदोलन पर आज पंजाब सरकार के खिलाफ SC में सुनवाई, मनोहर लाल खट्टर की आ गई नसीहत
- केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसान आंदोलनकारियों को ही नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि यदि बिना किसी शर्त के वार्ता की जाए तो कुछ बात बन सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तो पहले ही वार्ता की पेशकश कर चुकी है, लेकिन इसके लिए बिना किसी शर्त के आगे आना होगा।
पंजाब और हरियाणा को जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में आंदोलनकारी किसान डटे हुए हैं। वहीं करीब डेढ़ महीने से आमरण अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ती जा रही है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल ले जाकर उचित इलाज कराने का आदेश दिया था, लेकिन पंजाब सरकार के अधिकारी अब तक इस आदेश पर अमल नहीं कर सकते हैं। ऐसे में आज पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी के खिलाफ अवमानना की याचिका पर भी अदालत में सुनवाई होने जा रही है। माना जा रहा है कि शीर्ष अदालत पंजाब सरकार को लेकर कोई कठोर फैसला ले सकती है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन.के. सिंह आज इस मामले की सुनवाई करेंगे।
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि आंदोलन वाली जगह से 700 मीटर तक के दायरे में ही कोई मेडिकल चिकित्सा की व्यवस्था कर दी जाए। डल्लेवाल को वहीं शिफ्ट करके जरूरी स्वास्थ्य लाभ दिया जाए। लेकिन अब तक पंजाब सरकार के अधिकारी इस पर अमल नहीं कर पाए हैं। वहीं रविवार को भी पटियाला के एसएसपी नानक सिंह और पूर्व डीआईजी नरिंदर भार्गव ने किसान नेताओं से मुलाकात की। इस मुलाकात में डल्लेवाल के अनशन को खत्म करने या स्वास्थ्य सुधार के लिए अस्पातल में शिफ्ट कराने पर भी सहमति नहीं बन सकी है। किसानों का साफ कहना है कि जब तक केंद्र सरकार के प्रतिनिधि बातचीत करने नहीं आएंगे, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा। इसके अलावा एमएसपी पर कानून को लेकर किसान एक कदम भी पीछे हटाने को तैयार नहीं हैं।
इस बीच केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसान आंदोलनकारियों को ही नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि यदि बिना किसी शर्त के वार्ता की जाए तो कुछ बात बन सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तो पहले ही वार्ता की पेशकश कर चुकी है, लेकिन इसके लिए बिना किसी शर्त के आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलनकारियों ने तो सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी से भी बात नहीं की है। इससे पता चलता है कि वे सहयोग नहीं कर रहे हैं। खट्टर ने कहा, 'केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत का प्रस्ताव पहले ही दिया था। किसान तो सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी से भी बातचीत के लिए नहीं आए। यह ठीक नहीं है कि किसान इस तरह से शर्ते रखें। उन्हें बातचीत के लिए तैयार रहना चाहिए और समाधान की ओर बढ़ना चाहिए।'