किसान महापंचायत के बाद और बिगड़ी किसान नेता डल्लेवाल की तबीयत, दौड़ पड़ी डॉक्टरों की टीम
- किसान महापंचायत में संबोधन के बाद किसान नेता डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद पंजाब सरकार के अधिकारी दौड़ पड़े। बताया गया कि उन्हें उल्टियां होने लगी थीं और ब्लड प्रेशर गिरने लगा था।
खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 41 दिन से भूख हड़ताल कर रहे हैं। शनिवार को डल्लेवाल ने किसान महापंचायत बुलाई थी। पंजाब, हरियाणा और अन्य जगहों से बड़ी संख्या में किसान खनौरी बॉर्डर पर जमा हुआ। इस दौरान डल्लेवाल ने भी किसानों को संबोधित किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक संबोधन के बाद डल्लेवाल की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। वह सुस्त पड़ने लगे और उल्टियां होने लगीं। उनका ब्लड प्रेशर भी डाउन होने लगा। इसकी जानकारी जब पंजाब सरकार के अधिकारियों को लगी तो तुरंत वे डल्लेवाल से मिलने दौड़ पड़े। डॉक्टरों की टीम भी तुरंत उनके पास पहुंची और इलाज शुरू हो गया।
बता दें कि पंजाब सरकार के अधिकारी कई दिनों से कोशिश कर रहे हैं कि डल्लेवाल को अस्पताल में शिफ्ट करवाया जाए। हालांकि वह किसानों की मांगों को लेकर अडिग हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी पंजाब सरकार को डल्लेवाल को मनाने की डेडलाइन दी थी। पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है।
डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य की जानकारी मिलने के बाद डीआईजी नरेंद्र भार्गव अन्य अधिकारियों के साथ तुरंत खनौरी बॉर्डर पहुंचे। इसके अलावा चिकित्सकों की टीम को भी तैयार कर दिया गया था। बता दें कि शुक्रवार को डल्लेवाल ब्लड, यूरीन और ईसीजी टेस्ट करवाने को तैयार हो गए थे। किसान महापंचायत के लिए उन्हें एंबुलेंस से स्टेज पर लाया गया। स्टेज पर भी उनके लिए अलग से केबिन बनाई गई थी।
किसान महापंचायत के लिए सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए थे। आयोजन स्थल के चारों तरफ 100 ट्रैक्टर ट्रॉली लगाई गई थी। इसके अलावा 700 वॉलंटियर्स को तैनात किया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि पुलिस वहां ना आ सके। क्योंकि 26 नवंबर को इसी तरह पुलिस किसानों के टेंट में घुस गई थी और अनशन कर रहे किसानों को अस्पताल पहुंचा दिया गया था। डॉक्टरों की टीम ने कहा कि संबोधन के दौरान डल्लेवाल का ब्लड प्रेशर ऊपर नीचे हो रहा था। इससे उन्हें काफी चिंता थी।
डल्लेवाल ने मंच से यही हुंकार भरी कि जब तक केंद्र सरकार उनकी मांगें मान नहीं लेती वह अनशन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि यह जीने या मरने की लड़ाई है। एमएसपी पर कानूनी गारंटी के बिना वह भूख हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। संसदीय समिति ने जो भी सिफारिश की है वह लागू होनी चाहिए। बता दें कि इस महापंचायत का आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा (गैरराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने किया था।