कोई बना सनातनी तो किसी को मोक्ष की तलाश, महाकुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं का संगम
- Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो चुका है। पौष पूर्णिमा के मौके पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम तट पर डुबकी लगाई। इन श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या विदेशियों की भी है।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो चुका है। पौष पूर्णिमा के मौके पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम तट पर डुबकी लगाई। इन श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या विदेशियों की भी है। जबर्दस्त ठंड के बीच भी विदेशी श्रद्धालु त्रिवेणी पर डुबकी लगाते नजर आए। इन श्रद्धालुओं ने कहाकि भले ही पानी बहुत ज्यादा ठंडा है, लेकिन हमारा दिल आस्था की गर्माहट से भरा हुआ है। गौरतलब है कि हर 12 साल पर प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ का आयोजन होता है। इस साल यहां पर करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
बताया अनोखा अनुभव
ब्राजील के फ्रांसिस्को पहली बार भारत आए हैं। वह यहां पर मोक्ष की तलाश में आए हैं। फ्रांसिस्को ने कहाकि यहां पर आना अपने आप में अनोखा अनुभव है। उन्होंने कहाकि भारत दुनिया का आध्यात्मिक दिल है। मैं नियमित योगाभ्यास करता हूं। स्पेन से आए एक अन्य श्रद्धालु ने कहाकि वह खुद को बहुत खुशनसीब मानता है कि उसे महाकुंभ में स्नान का मौका मिला। उसने बताया कि हमारे दोस्तों का एक समूह है। इसमें कोई स्पेन से है कोई ब्राजील से तो कोई पुर्तगाल से। हम सभी आध्यात्मिक यात्रा पर निकले हुए हैं।
भारत से हमेशा कनेक्शन
जितेश प्रभाकर मूल रूप से मैसूर के रहने वाले हैं। अब वह जर्मनी की नागरिकता ले चुके हैं। वह अपनी पत्नी सस्किया नऊफ और बेटे आदित्य के साथ महाकुंभ में आए हैं। उन्होंने कहाकि यह मयाने नहीं रखता कि मैं भारत में रहता हूं या विदेश में। कनेक्शन तो बना ही रहेगा। मैं हर रोज योगाभ्यास करता हूं। हर किसी को जमीन से जुड़े रहना चाहिए और अंतरात्मा तक पहुंचना चाहिए। जितेश की पत्नी ने कहाकि वह यहां पहुंचकर बहुत ज्यादा उत्साहित हैं।
दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से आए एक श्रद्धालु ने कहाकि यह बहुत सुंदर है। गलियां साफ-सुथरी हैं और यहां के लोग खुशमिजाज और दोस्ताना हैं। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म को मानते हैं। केपटाउन की ही निक्की ने कहाकि यह बहुत ताकत देने वाला है। गंगा तट पर आकर खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रही हूं।
महाकुंभ में पहला अमृत स्नान (शुभ स्नान) मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को निर्धारित है और इस दौरान सभी अखाड़े निर्धारित क्रम में अपने अनुष्ठानिक स्नान करेंगे। इससे पहले रविवार और शनिवार को पहले ही लाखों लोग संगम पर डुबकी लगा चुके हैं।