5 गारंटी से खस्ताहाल हुआ खजाना, CM सिद्धारमैया का कबूलनामा; बोले- फिर भी न होंगे टस से मस
सिद्धारमैया ने भाजपा के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना की सरकारें कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के कारण सरकारी अधिकारियों को वेतन देने में असमर्थ हैं।
कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यह बात कबूल की है कि विधानसभा चुनावों में किए गए पांच गारंटी को पूरा करने की वजह से राज्य के खजाने पर भारी बोझ पड़ा है। बावजूद इसके उनकी सरकार उन सभी गारंटियों को पूरा करती रहेगी। सिद्धारमैया ने यह भी स्पष्ट किया कि ये पहल बंद नहीं होंगी और पांच साल तक चलती रहेंगी। उनका यह बयान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की उस सलाह के बाद आया है, जिसमें वरिष्ठ नेता ने कहा था कि राज्य इकाइयों को केवल उतने ही वादों की गारंटी देनी चाहिए जिसे पूरा किया जा सके और जो वित्तीय रूप से सक्षम हो।
इन टिप्पणियों को कर्नाटक सहित अन्य कांग्रेस शासित राज्यों के लिए एक नसीहत के तौर पर देखा गया था। उन्होंने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "2024-25 के बजट में हमने विकास कार्यों के लिए 1.20 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसमें से 56,000 करोड़ रुपये गारंटी के लिए और 60,000 करोड़ रुपये से अधिक विकास कार्यों के लिए आवंटित किए गए हैं। स्वाभाविक रूप से, यह राज्य के खजाने पर बोझ होगा लेकिन, हम विकास कार्यों को रोके बिना इसे मैनेज कर रहे हैं और हम सभी खर्चों को भी पूरा कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "(प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी जी ने खुद राजस्थान में बयान दिया था कि अगर ये गारंटी लागू की गईं तो कर्नाटक सरकार दिवालिया हो जाएगी और विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं बचेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।" उन्होंने यह भी कहा कि हम मई 2023 में सत्ता में आए और सभी चुनावी गारंटी योजनाओं को पूरी तरह लागू कर चुके हैं। खड़गे की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सिद्धारमैया ने दावा किया कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने भाजपा के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना की सरकारें कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के कारण सरकारी अधिकारियों को वेतन देने में असमर्थ हैं।
बता दें कि 2023 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पांच बड़ी गारंटी का ऐलान किया था। इनमें गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपए, युवा निधि के तहत बेरोजगार स्नातकों को दो साल के लिए 3000 रुपए, डिप्लोमाधारकों को 1500 रुपए, अन्न भाग्य योजना में गरीबी रेखा के नीचे हर परिवार को हर महीने प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम चावल, सखी कार्यक्रम के तहत महिलाओं के लिए सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा और गृह ज्योति योजना के तहत हर घर को 200 यूनिट मुफ्ट बिजली दिए जाने का वादा किया था।