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कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रम्प, भारत के लिए कौन बेहतर; व्यापार-रोजगार पर क्या होगा असर

US Presidential Election 2024: इस चुनाव का मुख्य असर भारत की रक्षा नीति, व्यापार और रणनीतिक क्षेत्रों में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका भारत में एक प्रमुख निवेशक देश है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 5 Nov 2024 05:11 PM
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US Presidential Election 2024: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और प्रमुख सैन्य शक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) आज (5 नवंबर को) अपने 47वें राष्ट्रपति का चुनाव करने जा रहा है। पूरी दुनिया की निगाहें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों और उसके नतीजों पर टिकी हैं। मौजूदा उपराष्ट्रपति और सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कांटे की टक्कर है। इसी के साथ दुनियाभर के देश यह अनुमान लगाने में मशगूल हैं कि किसके चुनाव जीतने पर उसका हित सधेगा और शुभ-लाभ होगा। भारत भी इससे अछूता नहीं है क्योंकि दुनिया के इस सबसे ताकतवर देश की नीतियों, रक्षा रणनीतियों और आर्थिक विकास से दुनियाभर की कई चीजें प्रभावित होती हैं।

इस चुनाव का मुख्य असर भारत की रक्षा नीति, व्यापार और रणनीतिक क्षेत्रों में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका भारत में एक प्रमुख निवेशक देश है, जो बुनियादी ढांचे से लेकर विनिर्माण, प्रौद्योगिकी विकास और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में मेंभागीदारी निभा रहा है। इसके अलावा बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय रोजगार के सिलसिले में अमेरिका को विभिन्न इलाकों में बसते हैं।

ट्र्म्प जीते तो भारत पर क्या असर

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव जीतते हैं और फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत के साथ रिश्ते भले ही प्रगाढ़ हों क्योंकि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्यूनिंग अच्छी है लेकिन उनकी आर्थिक नीतियों से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। वह आयात पर टैरिफ लगाना चाहते हैं, जिससे विदेशी सामान महंगे हो जाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप कंपनियों को अमेरिका में अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित करते रहे हैं, जिससे लागत भी बढ़ सकती है। मिन्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल के अनुसार, ट्रंप की नीतियां अपेक्षाकृत विस्तारवादी प्रकृति की हैं। उन्होंने निगमों, खासकर अमेरिका में विनिर्माण करने वाली कंपनियों के लिए टैक्स रेट को कम करने की अपनी प्राथमिकताएं बताई हैं।

इसके अलावा, उन्होंने चीन से होने वाले आयात पर लगभग 60 प्रतिशत या उससे अधिक टैरिफ लगाने और बाकी दुनिया पर 10-20 प्रतिशत टैरिफ लगाने की अपनी मंशा जाहिर की है। इससे भारत के कपड़ा, दवा उद्योग और आईटी सेक्टर पर बुरा असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं ट्र्म्प इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर भी सख्त रहे हैं। उनकी इमिग्रेशन पॉलिसी से अप्रवासियों को परेशानियां हो सकती हैं। इससे अमेरिका में श्रम आपूर्ति बाधित हो सकती है और प्रवासी भारतीयों के लिए रोजगार का खतरा उत्पन्न हो सकता है। ट्र्ंप अपनी अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी को आगे बढ़ा सकते हैं। इससे भारतीयों को H-1B वीजा मिलना मुश्किल हो सकता है।  ट्रम्प कहते रहे हैं कि प्रवासियों ने हमारे देश पर कब्जा कर लिया है। लिहाजा वह इसके खिलाफ सख्त कदम उठा सकते हैं। अनुमान जताया गया है कि ट्र्म्प के कार्यकाल में डॉलर और मजबूत हो सकता है, इससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी।

कमला हैरिस जीतीं तो भारत पर क्या असर

दूसरी तरफ कमला हैरिस को उदारवादी और यथास्थितिवादी माना जाता है। वह भारतवंशी हैं। उनकी पारिवारिक जड़ें भारत से जुड़ी हैं लेकिन कुछ मौकों पर उनकी रुख भारत के प्रति सख्त रहा है। उन्होंने 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मुद्दे पर भारत के खिलाफ रुख अपनाया था लेकिन जब से उप राष्ट्रपति चुनी गई हैं, तब से भारत से जुड़े मुद्दों पर चुप और तटस्थ रही हैं। इसके अलावा कमला हैरिस भारत-चीन से होने वाले आयात पर टैरिफ नहीं बढ़ाने और यथास्थिति बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरा चुकी हैं।

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हैरिस के राष्ट्रपति बनने और आयात शुल्क नहीं बढ़ाए जाने से भारत को फायदा हो सकता है। भारत अमेरिका को आईटी सेवा, फार्मास्यूटिकल्स और दवाएं, रत्न एवं आभुषण और कपड़े का निर्यात करता है। हैरिस H-1B वीजा को लेकर भी उदार रही हैं। इससे भारतीय प्रवासियों और तकनीकि पेशेवरों का अमेरिका जाने की राह आसान हो सकती है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि हैरिस के राष्ट्रपति बनने से भारत को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उनके उपराष्ट्रपति उम्मीदवार टिम वाल्ज के चीन के साथ संबंध हैं। हालांकि, अन्य लोगों का मानना है कि जब अप्रवासन के मामलों पर हैरिस भारत के लिए सही होंगी।

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