चीन से जुड़े निवेश की होनी चाहिए समीक्षा, बॉर्डर पर टेंशन के बीच जयशंकर ने कह दी बड़ी बात
- चीन से आने वाले निवेशों पर चिंता जताते हुए जयशंकर ने कहा कि सरकार की यह स्थिति कभी नहीं रही कि हमें चीन से निवेश नहीं लेना चाहिए या चीन के साथ व्यापार नहीं करना चाहिए। लेकिन निवेश के मामले में यह सामान्य समझ है कि चीन से आने वाले निवेशों की जांच की जानी चाहिए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के साथ भारत के जटिल रिश्तों पर बात करते हुए कहा कि भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जिसे चीन के साथ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नई दिल्ली में एक सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, “हमारे लिए सीमा पर मुश्किलों के अलावा चीन एक जटिल समस्या है, मगर हम दुनिया के एकमात्र देश नहीं हैं जो चीन पर बहस कर रहे हैं। यूरोप जाएं और पूछें कि आज उनके प्रमुख आर्थिक या राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों में क्या है? यह चीन ही है। अमेरिका भी चीन के प्रति बहुत सजग है।” जयशंकर ने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि भारत में चीन से जुड़े निवेशों की समीक्षा होनी चाहिए।
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत की समस्याएं चीन के साथ विशेष हैं, जो वैश्विक चिंताओं से भी परे हैं। उन्होंने कहा, "दशकों पहले दुनिया ने चीन में समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया था। अब सभी देशों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भारत को चीन के साथ एक खास समस्या है, जो बाकी दुनिया की सामान्य चीन समस्या से ऊपर है। इस स्थिति के मद्देनजर, भारत को उचित सावधानियां बरतनी चाहिए।"
चीन से जुड़े निवेश की समीक्षा जरूरी: एस जयशंकर
चीन से आने वाले निवेशों पर चिंता जताते हुए जयशंकर ने कहा, "सरकार की यह स्थिति कभी नहीं रही कि हमें चीन से निवेश नहीं लेना चाहिए या चीन के साथ व्यापार नहीं करना चाहिए। लेकिन निवेश के मामले में यह सामान्य समझ है कि चीन से आने वाले निवेशों की जांच की जानी चाहिए। कम से कम भारत-चीन के बीच रिश्तों की स्थिति इसकी मांग करती है।" उन्होंने निवेशों की मंजूरी से पहले सावधानीपूर्वक जांच की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि अन्य देशों की तरह चीन के निवेशों की भी जांच की जा रही है, हालांकि इसका स्तर अलग हो सकता है।
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत को केवल चीन से आने वाले निवेशों पर ही नहीं, बल्कि सभी विदेशी निवेशों पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, "मैं निवेश और विकास के पक्ष में हूं, लेकिन कहीं न कहीं एक संतुलन होना चाहिए।" ये बयान उस वक्त आया है जब भारत और चीन के बीच व्यापारिक ताल्लुकात पर बहस जारी है, बावजूद इसके कि दोनों देशों के बीच सरहद पर तनाव बना हुआ है।
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