तेजस के इंतजार में भारत, उधर एक के बाद घातक विमान बना रहा चीन; वायुसेना प्रमुख ने जताई चिंता
- तेजस परियोजना 1980 के दशक में मिग-21 और सु-7 विमानों को बदलने के लिए शुरू की गई थी। 2001 में इसने पहली उड़ान भरी और इसे 'तेजस' नाम दिया गया।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान की डिलीवरी में हो रही देरी पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने रक्षा उत्पादों के विकास में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी और अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए अधिक फंड आवंटन की आवश्यकता पर जोर दिया। 21वें सुब्रतो मुखर्जी संगोष्ठी में 'एयरोस्पेस में आत्मनिर्भरता: आगे का रास्ता' विषय पर बोलते हुए, एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, "अनुसंधान एवं विकास का महत्व तभी है जब यह समय पर परिणाम दे। यदि समयसीमा का पालन नहीं होता है, तो यह अप्रासंगिक हो जाता है।" उन्होंने तेजस फाइटर जेट की पहली खेप के अधिग्रहण में देरी को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया, "तेजस को 2016 में शामिल करना शुरू किया गया था। यह परियोजना 1984 में शुरू हुई थी। विमान ने 2001 में उड़ान भरी, और 2016 में इसका परिचालन शुरू हुआ। आज 2024 में भी हमारे पास पहले 40 विमान नहीं हैं। उत्पादन क्षमता बढ़ाने और प्रतिस्पर्धा लाने की जरूरत है।"
तेजस परियोजना: एक ऐतिहासिक पहल
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, तेजस परियोजना 1980 के दशक में मिग-21 और सु-7 विमानों को बदलने के लिए शुरू की गई थी। 2001 में इसने पहली उड़ान भरी और इसे 'तेजस' नाम दिया गया। 2016 में इसे वायुसेना की 45वीं स्क्वाड्रन 'द फ्लाइंग डैगर्स' में शामिल किया गया। इसके बाद 18वीं स्क्वाड्रन 'द फ्लाइंग बुलेट्स' में भी तेजस को शामिल किया गया।
तेजस की डिलीवरी में देरी
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित तेजस एमके1ए विमान की पहली खेप 2024-2025 में मिलनी थी, लेकिन अब HAL सिर्फ 2-3 विमान ही डिलीवर कर पाएगी, जबकि 16 विमान देने का वादा किया गया था। अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक से तेजस के इंजन की आपूर्ति में भी देरी हो रही है।
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, "R&D में फंड की कमी है। यह सिर्फ 5% है जबकि इसे 15% होना चाहिए। निजी क्षेत्र को भी इन फंड्स का लाभ मिलना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि समयसीमा पर काम पूरा करना बेहद महत्वपूर्ण है, और विफलताओं से डरने के बजाय उनसे सीखने की आवश्यकता है।
चीन के बढ़ते सैन्य खतरे पर चेतावनी
वायुसेना प्रमुख ने चीन के छठी पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट के तेजी से विकास पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, "चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे के मद्देनजर हमें अपनी तकनीकी क्षमता और संख्या दोनों में तेजी लाने की आवश्यकता है।" रक्षा मंत्रालय ने 2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया है। इसमें रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध बनाना, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना और भारत को रक्षा उत्पादों का विश्वसनीय निर्यातक बनाने का लक्ष्य रखा गया है। तेजस को वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, डिलीवरी में हो रही देरी और पर्याप्त फंडिंग की कमी वायुसेना की क्षमताओं को प्रभावित कर सकती है। वायुसेना के पास वर्तमान में 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन केवल 31 सक्रिय हैं।