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बांग्लादेश दिखाने लगा तेवर? BSF को केटल फेंसिंग से रोका; हफ्ते भर में दूसरी बार टेंशन

भारत और बांग्लादेश सीमा पर तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। बांग्लादेश ने भारत को सीमा पर फेंसिंग से से रोक दिया है। यह मामला कूचबिहार स्थित सीमाक्षेत्र का है, जहां जानवरों को रोकने के लिए मवेशी बाड़ बनाई जा रही थी।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 24 Aug 2024 01:02 AM
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भारत और बांग्लादेश सीमा पर तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। बांग्लादेश ने भारत को सीमा पर फेंसिंग से से रोक दिया है। यह मामला कूचबिहार स्थित सीमाक्षेत्र का है, जहां जानवरों को रोकने के लिए मवेशी बाड़ बनाई जा रही थी। गुरुवार को बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) को ऐसा करने से रोका। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि इस दौरान कोई हिंसा नहीं हुई। हालांकि निर्माण कार्य को रोक दिया गया है। इसके अलावा एहतियात के तौर पर गश्त भी बढ़ा दी गई है। अब इस मामले को अक्टूबर में दोनों देशों के सैन्य बलों के बीच होने वाली मीटिंग के दौरान उठाया जाएगा। गौरतलब है कि ढाका में शेख हसीना के इस्तीफा देकर भारत भागने और उसके बाद वहां सत्ता में हुई उठापटक के बीच दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं रह गए हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा के चलते कुछ लोग भारत में आने का रास्ता तलाश रहे हैं।

मामले की जानकारी रखने वाले बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे जवान केटल फेंस बना रहे थे। इसी दौरान बीजीबी के जवान आए और उन्होंने आपत्ति जताई। अधिकारी ने बताया कि यह बॉर्डर फेंस नहीं थी। अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बाड़ का निर्माण यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा था कि एक देश के मवेशी दूसरे देश में न भटक जाएं। उन्होंने कहा कि इसके चलते अक्सर दोनों तरफ के गांव के निवासियों के बीच विवाद हो जाता है। एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि दोनों देशों के बीच 2012 के समझौते के अनुसार मवेशी बाड़ का निर्माण किया जा रहा है। बीजीबी और बीएसएफ बटालियन के कमांडेंटों ने इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए सीमा पर एक फ्लैग मीटिंग की, लेकिन समाधान नहीं निकल सका।

अधिकारी ने कहा कि यह मामला दोनों बलों के महानिदेशकों की अक्टूबर के पहले हफ्ते में दिल्ली में होने वाली बैठक में उठाया जाएगा। सीमा के दोनों ओर कोई हिंसा नहीं है, लेकिन दोनों बलों द्वारा गश्त बढ़ा दी गई है। दोनों देशों के सीमा प्रहरी बलों के प्रमुख 4,096.7 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा के मुद्दों पर चर्चा के लिए साल में दो बार बैठक करते हैं। पिछली बैठक इस साल पांच मार्च को बांग्लादेश में हुई थी। बीजीबी की तरफ से फिलहाल मीटिंग की अगली तारीख तय नहीं की गई है।

एक सप्ताह में यह दूसरी बार है जब सीमा पर तनाव बढ़ गया है। अराजकता और हिंसा के बीच 5 अगस्त को बांग्लादेश की अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद से इसमें इजाफा हुआ है। शनिवार को बीजीबी ने गलती से बांग्लादेश के जलक्षेत्र में भटक कर आए पांच भारतीय नागरिकों को वापस करने से इनकार कर दिया था। ये पांच लोग गंगा में तस्करी किए गए जानवरों को बचाने में बीएसएफ कर्मियों की मदद कर रहे थे। इसी दौरान उनकी स्पीड बोट में खराबी आ गई और लहरें उन्हें बांग्लादेश की ओर बहा ले गईं। विभिन्न स्तरों पर कई फ्लैग मीटिंग के बावजूद, बीजीबी ने उन्हें लौटाने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें बांग्लादेश की जेल में डाल दिया गया। वे अभी भी जेल में हैं।

इस बीच दिल्ली में बीएसएफ मुख्यालय ने बयान में बताया है कि बीजीबी अवैध घुसपैठ और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से जुड़े मामलों में अच्छी प्रतिक्रिया दी है। लेकिन पूर्वी सीमा पर जमीनी स्तर पर मौजूद लोगों का कहना है कि सरकार गिरने के बाद से कई मुद्दों पर बीजीबी का रुख बदल गया है। हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में बीएसएफ के कुछ अधिकारियों ने आशंका जताई कि शासन परिवर्तन से बीजीबी में भी बदलाव हो सकता है। उन्होंने वह दौर भी याद किया जब 2000 की शुरुआती दशक में हसीना सत्ता में नहीं थीं। उन दिनों में बीएसएफ और बीजीबी के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं थे।

गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ढाका से भाग गईं क्योंकि उनके प्रशासन के खिलाफ हिंसा प्रदर्शन तेज हो गए थे। इसके चलते उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। तब से नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार ने यहां कार्यभार संभाला है। इसके बाद हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थकों या सदस्यों ने भारत में घुसने की कोशिश की। इसके बाद बीएसएफ को चौकन्ना होना पड़ा और अवैध प्रवासियों को दूर रखना पड़ा।

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